ऐसे पकड़ में आया अब्दुल करीम
बांग्लादेशी आतंकियों की योजना मप्र के शहरी और खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे मदरसों के जरिये जेहादी सोच को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें स्लीपर सेल में सक्रिय करना था। इसके लिए उन्होंने राजधानी से सटे विदिशा जिले के दूरदराज के उन गांवों को टारगेट किया, जहां मदरसों की तादाद अच्छी खासी है। 12 और 13 मार्च की दरमियानी रात राजधानी से जब चार आतंकियों की गिरफ्तारी हुई, उसके एक दिन पहले अब्दुल कय्यूम महाराष्ट्र के मदरसे में आयोजित सालाना जलसे में डिग्री ले रहा था। इस दौरान उसके माता-पिता भी वहां मौजूद थे। जलसे के बाद अब्दुल वहीं रुक गया था। साहवान से मिली जानकारी के बाद एटीएस ने मुरवासा के मदरसे की ओर रुख किया। यहां मौलवी को विश्वास में लेकर अब्दुल को फोन कर बुलवाया और 17 मार्च को उसे दबोच लिया।
बांग्लादेशी आतंकियों की योजना मप्र के शहरी और खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे मदरसों के जरिये जेहादी सोच को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें स्लीपर सेल में सक्रिय करना था। इसके लिए उन्होंने राजधानी से सटे विदिशा जिले के दूरदराज के उन गांवों को टारगेट किया, जहां मदरसों की तादाद अच्छी खासी है। 12 और 13 मार्च की दरमियानी रात राजधानी से जब चार आतंकियों की गिरफ्तारी हुई, उसके एक दिन पहले अब्दुल कय्यूम महाराष्ट्र के मदरसे में आयोजित सालाना जलसे में डिग्री ले रहा था। इस दौरान उसके माता-पिता भी वहां मौजूद थे। जलसे के बाद अब्दुल वहीं रुक गया था। साहवान से मिली जानकारी के बाद एटीएस ने मुरवासा के मदरसे की ओर रुख किया। यहां मौलवी को विश्वास में लेकर अब्दुल को फोन कर बुलवाया और 17 मार्च को उसे दबोच लिया।