इन दोनों ही महिला अतिथि विद्वानों की मांग एक ही थी… अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण। दो साल पहले जब कांग्रेस विपक्ष में थी तत्कालीन कांग्रेस विधायक और वर्तमान उ’च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी अतिथि विद्वानों के मंच पर आए थे और कहा था कि शिव के राज में पार्वती का मुंडन प्रलय की निशानी है।
अगर मैं इस प्रदेश का उ’च शिक्षा मंत्री बना तो मैं अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करवाऊंगा। सरकार बने डेढ़ साल बीत चुके हैं लेकिन अतिथि विद्वानों के हालात नहीं बदले हैं।
किसी की तरफ से कोई जवाब नहीं इसलिए मुंडन कराने पर मजबूर
पिछले 72 दिनों से नियमितीकरण की मांग को लेकर शाहजहांनी पार्क में प्रदर्शन कर रहे अतिथि विद्वानों की आंखें बुधवार को नम थीं। छिंदवाड़ा की महिला अतिथि विद्वान डॉ. शाहीन खान ने नम आंखों के साथ अपना मुंडन कराया। मुंडन से पहले शाहीन ने मुस्लिम समाज के पैरोकारों को भी तल्ख लहजे में जमकर खरी-खोटी सुनाई। शाहीन ने कहा पिछले महीने जब मैंने मुंडन कराने का निर्णय लिया था तब मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि आए थे और उन्होंने हमारे मामले को लेकर सीएम से बात करने का आश्वासन दिया था। मैंने उस समय मुंडन नहीं कराने का निर्णय लिया था लेकिन जब उन प्रतिनिधियों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला तो मैं आखिरकार मुंडन कराने पर मजबूर हूं। अगर मुख्यमंत्री में थोड़ी भी संवेदना मौजूद है तो वे देख लें कि उनके प्रदेश में आज एक उ’च शिक्षित बेटी क्या करने पर मजबूर है।
मांगे नही मानी तो फिर होगा महिला मुंडन
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने अतिथि विद्वानों के शोषण का एक नया इतिहास रचा है। नियमितीकरण के लिए अनावश्यक देरी और लगभग 2700 अतिथि विद्वानों को बेरोजगार करने का काम इस सरकार ने किया है। यदि सरकार ने अब भी अतिथि विद्वानों का ध्यान नही रखा और नियमितीकरण के लिए अनावश्यक देरी की तो आगे भी महिला अतिथि विद्वान अपना मुंडन करवाएंगी।
अस्थि कलश और केशत्याग एक ही मंच पर
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि बुधवार को पंडाल के एक ओर दिवंगत अतिथि विद्वान संजय कुमार का अस्थि कलश और उनकी पत्नी मौजूद थी। वहीं दूसरी ओर नियमितीकरण न किए जाने व सरकार के लगातार शोषण से त्रस्त होकर उ’च शिक्षित महिला अतिथि विद्वान ने अपने केश त्याग दिए। यह दुखद घटना सरकार के लिए खतरे की घंटी है। शासन जब इस प्रकार निरंकुश होता है तो सत्ता तक पहुंचने वाली जनता जनार्दन ही ऐसी सरकारों को सिंहासन से उतार फेंकती है।
दिवंगत अतिथि विद्वान की पत्नी को नेता प्रतिपक्ष ने दिया अपना एक माह का वेतन
अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पांडेय ने बताया कि पंडाल में मौजूद दिवंगत अतिथि विद्वान संजय कुमार की पत्नी लालसा देवी को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने अपना एक माह का वेतन (करीब एक लाख रुपए) देने की घोषणा की थी। यह राशि को गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने लालसा देवी को सौंपी। बता दें, जिला उमरिया में पदस्थ अतिथि विद्वान क्रीड़ाधिकारी संजय कुमार ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।