इधर,आवेदन न करने के बाद भी काम पर माना जाएगा :-
प्रदेश के कॉलेजों में अतिथि विद्वानों को रखे जाने का रास्ता साफ हो गया है। इन्हें रखे जाने में जो संशय की स्थिति थी वह भी साफ हो गई है। उच्च शिक्षा विभाग को इस संबंध में उच्च न्यायालय ने निर्देश दे दिए हैं।
इसके तहत ऐसे अतिथि विद्वान(Atithi Shikshak) जिन्होंने वर्ष 2016-17 में अपने कॉलेज में काम किया है। लेकिन वर्तमान सत्र में आवेदन नहीं किया है या इस सत्र में आवेदन के बाद आवंटन सूची में स्थान नहीं पा सके और उच्च न्यायालय के आदेश से कॉलेज में उपस्थिति दे चुके हैं। ऐसे अतिथि विद्वानों को उस विषय के रिक्त पद विरुद्ध कार्यरत माना जाएगा।
इसी के साथ ऐसे अतिथि विद्वान (Atithi Shikshak news) जिन्होंने विगत सत्र में काम नहीं किया है। पिछले वर्षों में कार्य करने के आधार पर ही उच्च न्यायालय से आदेश प्राप्त कर उपस्थिति दे रहे हैं। उनके आमंत्रण पत्र को निरस्त किया जाएगा। जिन कॉलेजों में रिक्त पदों पर कोई आवंटन नहीं हुआ और 2916-17 में उक्त पद पर कोई अतिथि विद्वान कार्यरत रहा हो तो उसे उस पद के लिए सात दिन का समय देते हुए आमंत्रित किया जाएगा। समय सीमा निकल जाने के बाद यह माना जाएगा कि विगत वर्ष में आमंत्रित अतिथि विद्वान इस वर्ष आमंत्रण स्वीकार करने के इच्छुक नहीं है।
नियमित पद स्वीकार नहीं :
अगर कोई अतिथि विद्वान 2016-17 में कार्यरत होने के आधार पर उच्च न्यायालय से यथा स्थिति बनाए जाने या आमंत्रण निरंतर रखे जाने का आदेश लेकर आता है और नियमित शिक्षक की पदस्थापना से पद की पूर्ति की गई है। तब, ऐसी स्थिति में अतिथि विद्वान को आमंत्रण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।