scriptNCRB – 2018 report : देश के औसत से दोगुने प्रदेश में दलितों पर अत्याचार | Atrocities on Dalits in the state twice the country's average | Patrika News

NCRB – 2018 report : देश के औसत से दोगुने प्रदेश में दलितों पर अत्याचार

locationभोपालPublished: Jan 31, 2020 08:03:03 am

Submitted by:

Arun Tiwari

– धनप्रसाद की मौत के बाद प्रदेश में उफान पर दलित राजनीति
 

NCRB - 2018 report : देश के औसत से दोगुने प्रदेश में दलितों पर अत्याचार

NCRB – 2018 report : देश के औसत से दोगुने प्रदेश में दलितों पर अत्याचार

भोपाल : प्रदेश में एक बार फिर दलितों पर सियासत उफान पर आ गई है। सागर में दलित युवक धनप्रसाद की जलने से हुई मौत को भाजपा ने बड़ा सियासी मुद्दा बना लिया है। भाजपा इस मुद्दे पर सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लडऩे का ऐलान कर चुकी है। वहीं कांग्रेस ने इसे भाजपा का दलितों के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने का जरिया बताया है। दोनों दल एक दूसरे पर दलित विरोधी होने की आरोप लगा रहे हैं।

एनसीआरबी के आंकड़े प्रदेश में दलित अत्याचार के मामले में हैरान करते हैं। ये आंकड़े साल 2016 से 2018 के हैं, जब प्रदेश में लगातार तीसरी बार बनी भाजपा की सरकार थी। दलितों पर अपराध में मध्यप्रदेश का क्राइम रेट देश के औसत से दोगुना है। दलित अत्याचार में देश का औसत 21 फीसदी है जबकि मध्यप्रदेश की अपराध दर 42 फीसदी है। देश के कुल दलित अपराधों में 11 फीसदी मामले मध्यप्रदेश के होते हैं। दलित अत्याचार के मामले में देश में मध्यप्रदेश का नंबर दूसरा है। पहले नंबर पर बिहार आता है। जबकि दलित महिलाओं पर अत्याचार में मध्यप्रदेश पहले नंबर आता है। प्रदेश में दलितों की आबादी करीब सवा करोड़ है।

प्रदेश में दलित अत्याचार :

– साल 2016 – 4922 मामले
– साल 2017 – 5892 मामले
– साल 2018 – 4753 मामले

2018 में दलितों के खिलाफ अत्याचार :

– साल 2018 में प्रदेश में 4753 वारदातें हुईं जिनमें पीडि़तों की संख्या 5005 थी। हत्या के 83 मामले सामने आए जिसमें पीडि़तों की संख्या 87 थी। वहीं हत्या के प्रयास के 87 मामले सामने आए जिनमें पीडि़तो की संख्या भी 87 थी।
– मारपीट की 2420 वारदातें हुई जिनमें 2624 लोग प्रभावित हुए। गंभीर चोट के 195 मामलों में पीडि़तों की संख्या 215 थी।

2018 में दलित महिलाओं पर अत्याचार :

– दलित महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म के इरादे से किए गए हमले की 642 वारदातें हुईं। महिलाओं पर हमले की 539 वारदातें सामने आईं। वहीं वयस्क महिलाओं पर दुष्कर्म के इरादे से किए गए हमले की 349 वारदातें दर्ज की गईं। दलित महिलाओं के यौन उत्पीडऩ के 129 मामले दर्ज किए गए। वहीं बलात्कार के 474 मामले सामने आए। अवयस्क बच्चियों से बलात्कार के 169 मामले दर्ज किए गए। इनके अलावा दलितों पर अन्य अपराध के 368 मामले दर्ज हुए।

– कांग्रेस पर आरोप लगाने वाली भाजपा किस मुंह से दलितों की बात कर रही है। प्रदेश में 15 साल सरकार में रहने वाली भाजपा के कार्यकाल में ही सबसे ज्यादा दलितों के खिलाफ अत्याचार हुए हैं। सरकार में रहते भाजपा ने कभी उनकी चिंता नहीं की और अब उनके मुद्दे पर राजनीति कर रही है। सरकार हमेशा दलितों, आदिवासियों, गरीबों के साथ खड़ी रही है और उनके उत्थान के लिए काम कर रही है। – कमलनाथ मुख्यमंत्री

– स्वयं को दलितों के हितैषी कहने वाले कांग्रेसी वास्तव में दलित विरोधी हैं, जनता भी यह जान गई है। प्रदेश में दलितों के साथ हुए अन्याय के दस्तावेज को मेडम सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी को भेज रहा हूं। इन तीनों में जरा भी नैतिकता हो तो मुख्यमंत्री कमलनाथ से जवाब मांगने आएं। कांग्रेस लाशों पर राजनीति कर रही है।
शिवराज सिंह चौहान पूर्व मुख्यमंत्री

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो