नाटक में एक पहलू और दिखाया गया है कि जो व्यक्ति ईमानदार और मेहनतकश होता है उसको अक्सर समाज का तिरस्कार सहना पड़ता है। नाटक में लोकगीतों, लोक नृत्य और बुंदेली भाषा का अद्भुत मिश्रण है और नाटक हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज की जातिगत व्यवस्था पर प्रहार करता है।
निर्दोष होने के बावजूद गुनहगार साबित होता है राजा
नाटक में लखन नाम का ब्राह्मण पुत्र चंदा नाम की बेडऩी से प्रेम करने लगता है। जातिगत व्यवस्था के चलते ब्राह्मण समाज को एक बेडऩी और ब्राह्मण के प्रेम करने पर आपत्ति होती है। जिसके चलते वह अपनी समस्या को लेकर राजा के पास जाते हैं राजा भी चंदा को मन ही मन प्रेम करता था, लेकिन राजा की रानी चंदा बेडऩी को पसंद नहीं करती। रानी को जब इस बात का पता चलता है कि उनके मायके के पारिवारिक पुजारी पंडित छैल बिहारी तिवारी के पुत्र लखन को चंदा बेडऩी ने अपने साथ रख लिया है और उसके साथ विवाह करने वाली है तो रानी चंदा बेडऩी की हत्या करने का निर्णय लेती है।
जिसके चलते वह एक ऐसा षड्यंत्र रचती है कि सारा दोषराजा के सर पर आ जाता है। रानी अपनी चाल में कामयाब हो जाती है पूरे नाटक में रानी मंच पर नहीं आती उसके बावजूद पूरे नाटक में रानी का जिक्र समय-समय पर होता रहता है। राजा इन सभी बातों से अनभिज्ञ रहता है और निर्दोष होने के बावजूद गुनहगार साबित होता है।