पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्य कर्ज में फंसे हैं। यदि इन राज्यों की मदद केंद्र सरकार न करे तो इन राज्यों के हालात भी श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे हो सकते हैं। आर्थिक विशेषज्ञ लगातार केंद्र को कृषि और स्वास्थ्य योजनाओं मे सब्सिडी धीरे-धीरे कम करने और मुफ्त की योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि कंठ तक डूबे ये राज्य आय का आधे से ज्यादा कर्ज चुकाने में खर्च कर रहे है।
किन राज्यों पर कितना कर्ज
देश में जम्मू-कश्मीर 56% के साथ सबसे बड़ा कर्जदार है। पंजाब 53%, राजस्थान 39.8%, केरल 38.3, पं. बंगाल 38.8%, आंध्रप्रदेश 37.6%, हरियाणा 35.3%, बिहार 34.0%, असम 31.9%, मध्यप्रदेश 29.0%, ओडिशा 26.7%, छत्तीसगढ़ 13.6 फीसदी तक कर्ज में डूबे हुए हैं।
रिजर्व बैंक के मुताबिक पंजाब ने पिछले कुछ साल में केवल 5 फीसदी रकम आर्थिक संसाधन बनाने में खर्च की, जबकि 45 फीसदी से अधिक रकम कर्ज की किस्तों में जमा की। आंध्रप्रदेश ने 10 फीसदी रकम आर्थिक संसाधनों पर, जबकि 25 फीसदी कर्ज अदायगी में खर्च की। बाकी राज्यों का भी ऐसा ही हाल है।
जानिए मप्र पर कितना है कर्ज
मध्यप्रदेश का बजट 2.79 लाख करोड़ है, तो वहीं कर्ज 3.31 लाख करोड़ रुपए है। राज्य सरकार ने 2020-21 में 52 हजार 413 करोड़ रुपए, 2021-22 में 40 हजार 82 करोड़ रुपएका कर्ज लिया। यानी हर महिने करीब 3 हजार 900 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इस कर्ज के हिसाब से मप्र की जनसंख्या के अनुसार राज्य का हर व्यक्ति लगभग 40 हजार रुपए का कर्जदार है।
आगे कितना कर्ज लेगी मप्र सरकार
मध्यप्रदेश सरकार के अनुसार 2022-23 में 51 हजार 829 करोड़ का कर्ज लेगी। यानी अब हर महिने लगभग 4300 करोड़ रुपए कर्ज होने जा रहा है। अगर कर्ज बढ़ता है तो ब्याज भी बढ़ेगा ही। बता दें कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017-18 में 11045 करोड़ का ब्याज दिया, वर्ष 2020-21 में 15917 करोड़ रुपए का ब्याज दिया, वहीं वर्ष 2021-22 में 20040 करोड़ रुपए दिए, जो अब वर्ष 2022-23 में बढ़कर 22166 करोड़ हो जाएगा।
कर्ज के कारण बजट में 15 फीसदी कटौती
कर्ज के कारण राज्य सरकार को जुलाई 2020 के बजट में 15 फीसदी तक की कटौती करनी पड़ी थी। जब पूरा प्रदेश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, जब स्वास्थ्य विभाग से जुड़े विभागों, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और आयुष विभाग के बजट में से कुल 403 करोड़ रुपए की कटौती कर दी गई। यही नहीं शिक्षा विभाग सहित हर विभाग में कुछ न कुछ कटौती की गई। गौरक्षा के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार ने गाय के चारे के बजट को काट भी काट कर कम कर दिया था।
हर साल बढ़ रहा है कर्ज
वित्तीय वर्ष 2018-19 में हर व्यक्ति पर औसतन 25 हजार रुपए का कर्ज था। इसके मुकाबले 2019-20 में हर व्यक्ति पर 4 हजार रुपए कर्ज बढ़ गया। 2019-2020 यानी 31 मार्च तक यह बढ़कर 29 हजार रुपए हो गया।
पिछले तीन वित्तीय वर्षों की स्थिति
वर्ष | कुल कर्ज | मूल भुगतान | ब्याज राशि | प्रति व्यक्ति कर्ज |
2017-18 | 1,52,000 करोड़ | 5,000 करोड़ | 11,045 करोड़ | 21,000 रुपए |
2018-19 | 1,90,988 करोड़ | 7,000 करोड़ | 12,042 करोड़ | 25,000 रुपए |
2019-20 | 2,10,510 करोड़ | 14,403 करोड़ | 14.803 करोड़ | 29,000 रुपए |