शिविर के समापन दिवस पर 22 जून को यह नाटक मंचित होगा, जिसका अभ्यास पिछले तीन दिनों से किया जा रहा है। इन कैडेट्स के साथ नुक्कड़ नाटक करने की आवश्यकता पर ‘बोल’ के फाउंडर और प्रेसिडेंट डॉ. सुधीर आज़ाद के बताया कि मप्र में महिलाओं द्वारा रक्तदान का अनुपात सिर्फ 10 प्रतिशत ही है और राष्ट्रीय अनुपात सिर्फ छह प्रतिशत। इसका यह कारण नहीं है कि वह ऐसा नहीं चाहतीं।
परिस्थिति, स्वास्थ्य जैसे कारण उन्हें यह करने से रोक लेता है। चूंकि शिविर में छात्राओं की संख्या का अनुपात बहुत अधिक है इसलिए यह नाटक इन्हीं के साथ करने जा रहे हैं। हमने रक्तदान से जुड़ी गलतफहमियों को भी नाटक का अहम हिस्सा बनाया है। इस शिविर में भोपाल संभाग की 540 छात्राएं और 50 छात्र उपस्थित हैं जो कर्नल मुकेश तिवारी के मार्गदर्शन में मैप रीडिंग, सिग्नल, लीडरशिप, फायरिंग का प्रशिक्षण पा रहे हैं। ‘बोलÓ बच्चों एवं महिलाओं में शिक्षा एवं सांस्कृतिक विकास के लिए काम कर रहा है।
जानिये क्यों करें रक्तदान? भारत में सालाना करीब चार करोड़ ब्लड यूनिट की जरूरत होती है, हालांकि 40 लाख ब्लड यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है। भारत में करीब 40 हजार लोगों को प्रतिदिन ब्लड डोनेशन की आवश्यकता होती है हालांकि, 20 प्रतिशत लोग भी यहां ब्लड डोनेट करते हैं। अपने देश में एक्सीडेंटल केस की बात की जाए, तो यहां हर चार मिनट में एक मौत रोड एक्सीडेंट के कारण होती है। 2013 में 1.37 लाख लोग सिर्फ रोड एक्सीडेंट में मारे गये थे। एक्सीडेंटल केस में 50 प्रतिशत से अधिक मौतें समय पर जरूरी खून नहीं मिल पाने के कारण होती है।