इससे जुड़े प्रकाश मालवीय ने बताया कि पुलिस प्रशासन यातायात सप्ताह के अंतर्गत ट्रैफिक ये काम कर रहा है। संगठन ने भी इस दिशा में काम किया। इसके तहत लोगों को यातायात चिन्हों की जानकारी के साथ, नियमों का पालन करने और सड़क पर आवाजाही के दौरान लापरवाही न करने के बारे में बताया जा रहा है। इस अभियान के दौरान लोगों को ये भी बताया गया कि दुर्घटना के दौरान क्या स्थित बनती है। अब तक ये पुराने शहर तक सीमित है। इसे आगे बढ़ा राजधानी के दूसरे हिस्सों में भी शुरू किया जाएगा।
सड़क सुरक्षा के तहत केवल हफ्ते भर कार्रवाई ट्रैफिक नियमों के बारे में बताने से लेकर इसकी जागरुकता के लिए पूरे साल की जगह पुलिस प्रशासन कुछ दिनों काम कर औपचारिकता पूरी कर लेता है। साल में एक बार सड़क सुरक्षा सप्ताह या सड़क सुरक्षा पखवाड़ा मनाया जाता है। बाकी दिन कोई काम नहीं होता। ऐसे में स्वयं सेवी संगठनों के जरिए प्रचार यातायात नियमों की जागरुकता में कारगर साबित होगा।
शहर में नौ लाख से ज्यादा वाहन, बढ़ रही समस्या शहर की सड़कें तो सीमित हैं लेकिन इन पर दौडऩे वाले वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्तमान में करीब नौ लाख वाहन शहर में दौड़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में ये संख्या लगभग दोगुना हो गई। ऐसे में जहां पार्किंग की समस्या बढ़ गई तो वहीं दूसरी ओर आवाजाही के लिए सड़कें भी तंग होने लगी। इन पर ही पार्किंग स्थल बना दिए गए है।
शहर में पार्किंग की समस्या हल करने के लिए नए पार्किंग स्थल विकसित किए जा रहे हैं। इसके सड़कों पर हो रही वाहनों की अवैध पार्किंग रुकेगी और यातायात व्यवस्थित हो सकेगा।
हरीश गुप्ता, उपायुक्त नगर निगम