scriptजुलाई से शुरू होगा आयुर्वेद, वास्तु-ज्योतिष व पुरोहित कोर्स | Ayurveda will start from July Month | Patrika News

जुलाई से शुरू होगा आयुर्वेद, वास्तु-ज्योतिष व पुरोहित कोर्स

locationभोपालPublished: Mar 18, 2018 11:27:46 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

नर्सरी के बच्चों के लिए भी संस्कृत ट्यूटोरियल तैयार, पहली बार होगा यह नवाचार

mp school

Maharishi Patanjali Sanskrit Institute

भोपाल. महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान आगामी सत्र से संस्कृत के क्षेत्र में नवाचार करते हुए चार डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है। संस्थान से संबद्ध सभी सरकारी-गैर सरकारी स्कूलों में वास्तु शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, आयुर्वेद और पुरोहित संबंधी चार वर्षीय डिप्लोमा कोर्स पढ़ाया जाएगा। पहली बार महर्षि पतंजलि संस्कृत प्रदेश में दो बड़े बदलाव करने जा रहा है।

 

पहला डिप्लोमा कोर्स और दूसरा नर्सरी से ही बच्चों के लिए संस्कृत कोर्स की शुरुआत। जुलाई से जहां ९वीं में चार वर्षीय डिप्लोमा कोर्स पढ़ाया जाएगा, वहीं नर्सरी, केजी और पहली कक्षा से बच्चों को संस्कृत पढ़ाया जाएगा। प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को स्मार्ट क्लास के जरिए संस्कृत ट्यूटोरियल के वीडियो से संस्कृत सिखाया जाएगा। संस्कृत प्रमोशन काउंसिल की मदद से तैयार करवाए गए इन वीडियो में खेल-खेल में संस्कृत सिखाने पर जोर दिया गया है।

 

अधिकांश वीडियो में मोगली की कहानियों के कैरेक्टर और कार्टून कैरेक्टरों की तर्ज पर संस्कृत के प्राथमिक कोर्स को फिल्माया गया है, जो बच्चों को समझाने में मदद करेगा। इधर, चारों डिप्लोमा कोर्स की खासियत यह है कि इनमें एडमिशन के लिए न तो धर्म का बंधन है और न ही उम्र का। हर वर्ग-धर्म-उम्र के व्यक्ति चारों कोर्स का अध्ययन कर सकता है। विशेषकर ९वीं से १२वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखकर यह कोर्स डिजाइन किया गया है।

राज्य शासन ने जुलाई सत्र से चारों डिप्लोमा कोर्स लागू करने की मंजूरी दे दी है। चारों डिप्लोमा कोर्स चार साल के होंगे। इन कोर्स की किताबें विज्ञान, वेद और संस्कृत के मौलिक ज्ञान के आधार पर है। इन कोर्सेस के अध्यापन के लिए आवश्यकतानुसार बाहर से विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे। एडमिशन लेने वालों को १५ दिवसीय संस्कृत का मूल कोर्स पढ़ाया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण मेें सभी ३१३ विकासखंड स्तर पर अन्य स्कूलों में इन कोर्सेस की वर्चुअल क्लासेस शुरू की जाएंगी।

 

यह रहेगा कोर्स में
ज्योतिष में कुंडली-जन्मपत्रिका, हस्तरेखा, फेस रीडिंग और इनकी आंतरिक शाखाएं शामिल हैं। पुरोहित में हिन्दू धर्म के १६ संस्कारों, गृह प्रवेश की विधि, हवन, बेदी की स्थापना दिशा ज्ञान, कवच का पाठ और मंत्रोच्चार के बारे में गहराई से प्रकाश डाला गया है। आयुर्वेद में वायु-कफ-पित्त पर जोर दिया गया है। वास्तु में ऊर्जा के सिद्धांतों को कोर्स में शामिल किया गया है।

 

संस्कृत के चारों डिप्लोमा कोर्स शुरू होने के बाद कई भ्रांतियां दूर होंगी। इन कोर्स को पढऩे के बाद यह भ्रांति टूटेगी कि पुरोहित कर्म ब्राह्मणों का ही काम नहीं है, इसे कोई भी कर सकता है। जो बच्चा इंजीनियरिंग-ऑर्किटेक्ट बनना चाहता है, वह चार साल का वास्तु डिप्लोमा कोर्स प000000ढ़ेगा तो उसकी इंजीनियरिंग आम छात्रों से अलग रहेगी। कोई डॉक्टर बनना चाहता है और उसने आयुर्वेद डिप्लोमा पढ़ा है तो वह डॉक्टरी में आम डॉक्टरों से अलग होगा। उनके पास संस्कृत में निहित मूल ज्ञान के साथ विज्ञान-बायोलॉजी का भी ज्ञान होगा
-पीआर तिवारी, निदेशक, महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो