मध्य प्रदेश में बढ़ाई गई सीटें
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने तीन साल पहले बीए, बीकॉम और बीएससी बीएड कोर्स लांच कर दिया था। एमएचआरडी की तैयारी है कि 12वीं के बाद ही टीचिंग में आने वाले छात्रों की पढ़ाई शुरू हो जाए। अभी प्रदेश में दो साल के बीएड कोर्स में प्रवेश परीक्षा से प्रवेश होते हैं, लेकिन 45 फीसदी तक सीटें खाली रह जाती हैं। पिछली बार भेजे गए प्रस्ताव के बाद प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 7 पीजी सीटों को मंजूरी मिली है। इंदौर में आर्थोपेडिक्स विभाग में दो पीजी सीट बढ़ाई गई हैं। वहीं जबलपुर, रीवा में क्रमश: 4 व 3 नई सीटें बढ़ेंगी। इनके लिए भी चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने शपथ पत्र भी दिया है।
12वीं के छात्रों को मिलेगा फायदा
इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स शुरू होने के बाद 12वीं पास छात्रों को फायदा मिल सकता है। 12वीं पास छात्र बीएड की पढ़ाई कर सकेंगे। फिलहाल एजुकेशन सिस्टम के अनुसार वहीं छात्र बीएड में एडमिशन ले सकते हैं जिन्होंने ग्रेजुएशन किया हो। इस बदलाव के बाद एचआरडी मिनिस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक इसका मकसद यह भी है कि वहीं लोग टीचिंग प्रोफेशन में आएं जो इसे लेकर गंभीर हैं, क्योंकि वह जैसा पढ़ेंगे वैसी ही शिक्षा छात्रों के देंगे। एजुकेशन सिस्टम में सुधार लाना है, तो पहले टीचर स्तर में सुधार लाना जरूरी है।
टीचर बनने के लिए सिर्फ करना होगा बीएड
आपको बता दें कि अभी तक प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए बीटीसी और सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए बीएड की डिग्री होना अनिवार्य थी। पहले बीएड एक वर्ष का हुआ करता था लेकिन अब से तीन साल पहले बीएड दो वर्ष का कर दिया गया। अध्यापक बनने के लिए बीएड के अलावा बीटीसी, बीएलएड, डीएलएड जैसे कई कोर्स चल रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर अब सरकार चाहती है कि शिक्षक बनने के सिर्फ एक कोर्स ही चलाया जाए। इसके लिए एनसीटीई ने एक हाईपॉवर कमेटी बनाई है। बताया जा रहा है कि एक साल के बाद होने वाले बदलाव में शिक्षक बनने के लिए केवल बीएड ही होगा।