scriptबड़ा तालाब सवा दो साल से एक भी कब्जा नहीं हटा, उल्टा पांच स्थानों पर कॉलोनी काटने, गौरागांव में होटल, सड़क बन गई | Bada Talab did not remove a single encroachment for the last two and a | Patrika News

बड़ा तालाब सवा दो साल से एक भी कब्जा नहीं हटा, उल्टा पांच स्थानों पर कॉलोनी काटने, गौरागांव में होटल, सड़क बन गई

locationभोपालPublished: Jan 26, 2022 06:43:30 pm

– आखिर क्यों न जनप्रतिनिधी इस मुद्दे को उठाएं, यूं ही शहर की लाइफ लाइन नहीं कहा जाता बड़ा तालाब, शहर विस्तार के साथ हर दस साल में बढ़ जाती है सौ एमलडी पानी की डिमांड, अतिक्रमण होते रहे तो कहां से बचेंगे तालाब और डैम

बड़ा तालाब सवा दो साल से एक भी कब्जा नहीं हटा, उल्टा पांच स्थानों पर कॉलोनी काटने, गौरागांव में होटल, बिशनखेड़ी की तरफ एफटीएल मुनारों से सटकर सड़क बन गई

– आखिर क्यों न जनप्रतिनिधी इस मुद्दे को उठाएं, यूं ही शहर की लाइफ लाइन नहीं कहा जाता बड़ा तालाब, शहर विस्तार के साथ हर दस साल में बढ़ जाती है सौ एमलडी पानी की डिमांड, अतिक्रमण होते रहे तो कहां से बचेंगे तालाब और डैम

भोपाल. बड़ा तालाब में सवा दो साल से एक भी अतिक्रमण हटा नहीं, उल्टा पांच जगह कॉलोनी काटने, गौरागांव कैचमेंट में होटल बनने, बिशनखेड़ी की तरफ एफटीएल की मुनारों से सटकर सड़क तक बिछादी गई। लेकिन प्रशासन और नगर निगम के जिम्मेदार अफसर नहीं जागे। कई मामलों में तो रसूखदार इतने भारी पड़े कि जांच करने तक टीमें नहीं गईं। कुछ जगह जांच भी होती है तो वह फाइलों से आगे नहीं बढ़ती। जबकि हकीकत ये है कि जिस तेजी से शहर का विस्तार हो रहा है, उतनी तेजी से हर साल पानी की डिमांड बढ़ रही है। जनसंख्या घनत्व के अनुसार हर दस साल में सौ एमएलडी पानी की डिमांड बढ़ जाती है। ऐसे में बड़ा तालाब सहित अन्य जलश्रोत्र बचाए नहीं गए तो स्थिति खराब ही होगी। लेकिन जिम्मेदार इस तरफ देखते तक नहीं हैं। कोई भी कब्जा कर ले या धार्मिक स्थल बना ले।

2021 में 370 एमएलडी पानी बड़ा तालाब, कोलार और केरवा से लिया जा रहा है। नर्मदा से सप्लाई करीब 200 एमएलडी अलग है। 2031 में 31 लाख 23 हजार की आबादी हो जाएगी उस समय 470 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे ) पानी सिर्फ इन तीन वॉटर बॉडी से लेने की जरूरत होगी। लेकिन वर्तमान हालात ऐसे हैं कि जल श्रोत अवैध अतिक्रमणों से अटे पड़े हैं।

बड़ा तालाब:
शहर की लाइफ लाइन बड़ा तालाब में 361 अवैध कब्जे प्रशासन चिन्हित कर चुका है। इसमें से 16 कब्जे वर्ष 2019 में तोड़े गए, इसके बाद राजनीतिक रसूख के चलते कार्रवाई रुक गई। अभी तक एक नया कब्जा बड़े तालाब से हटाया नहीं गया। बड़े तालाब की सीमा राजस्व नक्शे से उतारने से कागजों में सुरक्षा मजबूत है, लेकिन हकीकत में स्थिति खराब है। पानी में नीचे गाद जमने से इसका गहरीकरण भी कम होता जा रहा है।

फैक्ट फाइल– 363 वर्ग किमी में फैला

केरवा डैम
केरवा डैम के पास जंगल के एरिया में काफी पेड़ों को काटकर उसमें प्लॉटिंग की जा रही है। यहां कई प्रकार की फर्जी अनुमतियों की आड़ में इस तरह की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। मेंडोरा से रातीबड़ की तरफ पीछे केरवा की वॉटर बॉडी में काफी कब्जे हो रहे हैं। जमीन का लैंडयूज बॉटेनिकल गार्डन के नाम से है, जिसमें फॉर्म हाउस और बंगले बनते जा रहे हैं।

फैक्ट फाइल– कैचमेंट में कट रहे फॉर्म हाउस – दो साल में 12 जगह पेड़ कटे

कोलार डैम

इस तरफ भी आस-पास काफी कब्जे हो गए हैं, यहां भी रातापानी रिसोर्ट जैसे कई रिसोर्ट बन गए हैं। पानी में मोटरबोट शुरू कर दी है। लगातार अवैध गतिविधियां इस तरफ संचालित हो रही हैं। शहर से 40 किमी दूर होने के कारण अभी यहां हालात फिर भी ठीेक हैं, लेकिन समय रहते इसे रोका नहीं गया तो यहां भी कब्जों की भरमार हो जाएगी।

नोट: अभी इतनी निर्भरता है
बड़ा तालाब—–130 एमएलडी

कोलार डैम, सीप लिंक—–210 एमएलडी
केरवा डैम———30 एमएलडी

नर्मदा नदी——200 एमएलडी

वर्जन
बड़ा तालाब हो या कोई और जल श्रोत हमें अभी से बचाने होंगे इसके लिए जनसहयोग से प्रयास करने होंगे।

प्रज्ञा सिंह , सांसद, भोपाल

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