कंपनी ने भेजा पत्र
बैंक अधिकारियों ने नाम न छापने के अनुरोध पर बतायाकि आईएल एंड एफएल कंपनी ने हाल ही में एक पत्र भेजकर कहा है कि मार्च 2020 के पहले 15त्नराशि लौटा दी जाएगी। बैंक प्रबंधन ने कंपनी से कहा है कि यह बात बैंक को सीधे कहने की बजाय नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में कहें। ज्ञात हो कि यह मामला अब एनसीएलटी में विचाराधीन है।
वसूली होगी मुश्किल
जानकारी के मुताबिक शासन आरोपी अधिकारियों से रिकवरी कर सकता है। इसकी अनुशंसा भी की जा रही है। हालांकि इसमें सबसे बड़ी अड़चन यह आ सकती है कि तत्कालीन आरोपी अधिकारियों का पूरे सेवाकाल का वेतन-भत्ता मिला लिया जाए तो भी इतनी बड़ी राशि नहीं होती है। ऐसे में वसूली अटक सकती है। बताया जा रहा है कि जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी है।
संचालक मंडल को रखा ताक पर
जांच में सामने आया कि तत्कालीन अधिकारियों ने संचालक मंडल से अनुमोदन नहीं लिया था। न ही सहकारी बैंकिंग नियमों का पालन किया। नियमानुसार सरकारी या निजी बैंकों में निवेश का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने एक डिफॉल्टर नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) में यह पैसा जमा कर दिया। इनके खिलाफ धारा 49, 120बी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।