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नहीं रुक रहा पॉलीथिन का कारोबार

locationभोपालPublished: Jan 25, 2019 08:42:45 am

शहर में रोजाना 15 हजार किलो से अधिक पॉलीथिन निर्माणकबाडख़ाना, जुमेराती, गोविंदपुरा, बैरागढ़, कोलार आदि में 400 दुकानें

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नहीं रुक रहा पॉलीथिन का कारोबार

भोपाल. पॉलीथिन के कारोबार में इतना मुनाफा है कि कार्रवाई के नाम पर कुछ माल जब्त कर जुर्माना भी वसूल लिया जाए तो भी फर्क नहीं पड़ता। 15 अक्टूबर 2018 को आजाद मार्केट में श्रीजी प्लास्टिक और साईंराम पॉलीथिन कारोबारियों पर कार्रवाई कर 230 किलोग्राम पॉलीथिन जब्त की गई थी और 8000 रुपए जुर्माना भी वसूल किया गया था। कुछ दिनों बाद इन दोनों प्रतिष्ठानों पर भी धड़ल्ले से पॉलीथिन बिक्री की जा रही है।
निम्न स्तर की के पॉलीथिन बनाने, भंडारण व बिक्री पर सरकारी प्रतिबंध को डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीत गया है, लेकिन इस पर रोक नहीं लगाई जा सकी है। पॉलीथिन का कारोबार करने वाले थोक व्यापारियों और रिटेल उपयोग करने वाले दुकानदारों को नगर निगम की कार्रवाई का कोई खौफ नहीं है। पॉलीथिन के निर्माण पर प्रतिबंध लगने के बाद इसे बनाने वाले बहुत सतर्क हो गए हैं। बैरागढ़ क्षेत्र के कई घरों में छोटी यूनिट्स इसे बना रही हैं।
गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में भी पॉलीथिन बनाई जा रही है, लेकिन ये यूनिट्स नर्सरी बैग्स, मेडिकल बायो वेस्ट बैग्स आदि अन्य उत्पादों की आड़ में बनाते हैं और सिर्फ पुराने सप्लायर्स को ही माल देते हैं। सूत्रों का कहना है कि पॉलीथिन निर्माण मौका देखकर किया जाता है। पॉलीथिन के बड़े व्यापारी कबाडख़ाना, जुमेराती, हनुमानगंज, गोविंदपुरा, बैरागढ़, कोलार आदि में हैं। इंदौर और गुजरात से बड़ी तादात में पॉलीथिन शहर में आ रही है। पत्रिका एक्सपोज टीम ने घोड़ा नक्कास इलाके में अमृत प्लास्टिक नाम के पॉलीथिन थोक विके्रता से ग्राहक बनकर बात की।
पॉलीथिन सप्लायर से बात

रिपोर्टर: एक-दो किलो वाले पॉलीथिन बैग्स चाहिए, जरा दिखा दो?
दुकानदार: (समझते हुए) पन्नी पतली वाली चाहिए या मोटी वाली चाहिए? किसलिए चाहिए?

रिपोर्टर: सब्जी वाली चाहिए, भतीजे को काम शुरू कराया है।
दुकानदार: कितनी पन्नी चाहिए, दे देंगे।
रिपोर्टर: आजकल भतीजा नशे की लत में पड़ा जा रहा, इसलिए सोचा कुछ काम शुरू करवा दूं।
दुकानदार: ठीक है, ये लीजिए, देख लीजिए (पॉलीथिन के पैकेट्स निकालकर दिखाता है।)

रिपोर्टर: ये वाली कितने में पड़ेगी, कितने पीस निकलेंगे?
दुकानदार: (पॉलीथिन दिखाते हुए) ये सफेद बंडल 110 व 120 रुपए में और ये रंगीन बंडल 125 रुपए में आएगा। 200 ग्राम के पैकेट में पांच पन्नी के छोटे-छोटे पैक निकलते हैं।
रिपोर्टर: ये तो तीन किलो तक माल के लिए हो गई, इससे बड़ी पन्नी, पांच किलो तक की?
दुकानदार: एक, तीन, पांच किलो सब तरह की मिल जाएंगी। जितना बोलोगे, सब मिल जाएंगी, बहुत सारी रेंज है।
सप्लायर: कोलार में कहां दुकान है आपकी?
रिपोर्टर: बीमाकुंज गेट के पास, वहां मिश्राजी की दुकान में जगह ली है। पीछे की ओर बंजारी हाट, बिट्टन हाट और कुछ माल इधर-उधर माल सप्लाई करेंगे।

अब चार दर्जन से अधिक यूनिट
जानकारों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद पॉलीथिन उत्पादन 50-60 प्रतिशत तक बढ़ गया है। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि पॉलीथिन का उत्पादन 10 से 15 प्रतिशत बढ़ा है। चार-पांच वर्ष पहले शहर में एक दर्जन पॉलीथिन यूनिट्स थीं, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 52 से भी अधिक बताई गई है।
15 हजार किलो रोजाना प्रोडक्शन

इस धंधे से जुड़े सूत्र बताते हैं कि रोजाना शहर में 14-15 हजार किलो पॉलीथिन का उत्पादन किया जाता है। कुल उपभोग की पॉलीथिन में से दो-तिहाई पॉलीथिन उपयोग के बाद रोजाना सड़कों पर फेंक दी जाती है। इससे पर्यावरण और जानवरों को नुकसान पहुंचता है। नाले-नालियां भी पॉलीथिन से चोक हो जाते हैं। पानी प्रदूषित होता है।
मानव स्वास्थ्य के लिए होता जानलेवा
प्लास्टिक बैग/पॉलीथिन जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, फुरान्स आदि उत्सिर्जत होते हैं। इससे कैंसर समेत फेफड़ों, पेट, त्वचा व आंख के कई जानलेवा रोग पैदा हो जाते हैं।
नेशनल ग्रीन टिब्यूनल ने अनाश्य प्लास्टिक प्रबंधन नियम 2011 को लागू करने के लिए जनवरी 2014 में निर्देश दे दिए थे। इस नियम के तहत 40 माइक्रोन से कम की पॉलीथिन, कैरीबैग्स के उत्पादन, बिक्री और भंडारण को प्रतिबंधित किया गया था। मप्र सरकार के पिछले वर्ष पॉलीथिन बंद करने के आदेश के बाद भी राजधानी में ही इसके निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लग सका है। सब्जी व फल विक्रेताओं से लेकर हाट बाजार, हथठेलों, मेडिकल स्टोर्स, कपड़े की दुकानों, बेकरी समेत लगभग सभी तरह के कारोबारी सस्ती पॉलीथिन का प्रयोग कर रहे हैं।

खान-पान की चीजों में भी पॉलीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं पॉलीथिन में गर्म खाद्य पदार्थों को पैक कर बेचा जा रहा है, जो कैंसर जैसी घातक बीमारी का अहम कारण होता है। राजधानी के बाजारों में पॉलीथिन की हर जगह उपलब्धता यह दर्शा रही है कि इसे रोकने के लिए जिम्मेदार सरकारी अमला नाकामयाब साबित हो रहा है। सरकार चाहे तो मप्र जैव अनाश्य अपशिष्ट नियंत्रण संशोधन नियम 2017 के तहत पॉलीथिन के निर्माण, बिक्री व इस्तेमाल पर प्रभावी रोक लगा सकती है।
नगर निगम दल ने पीसीबी के साथ संयुक्त अभियान चलाकर शहर में कई स्थानों से पॉलीथिन की जब्ती और चालानी कार्रवाई कर जुर्माना भी वसूल किया।
– हरीश गुप्ता, उपायुक्त, नगर निगम
पीसीबी के वैज्ञानिक नगर निगम टीम के साथ जाकर कार्रवाई करते हैं। हाट बाजारों में पॉलीथिन प्रयोग नहीं करने के लिए जागरुकता भी फैलाई जा रही है।
– डॉ. पीएस बुंदेला, रीजनल अफसर, एमपीपीसीबी
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