आवंटियों का कहना है कि ऐसा नियम में नहीं है। यह गलत किया जा रहा है। वे इसके खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। उधर, इस राशि को बीडीए के अधिकारी वर्ष 2018 के नियमों के तहत सही बता रहे हैं, जबकि राजस्व विभाग के वर्ष 2018 के नियम में नवीनीकरण के लिए बाजार मूल्य का सिर्फ 0.01 प्रतिशत शुल्क ही वसूल किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि राजधानी में बीडीए की हजारों संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों में हजारों भवन, दुकान और भूखंड शामिल हैं। बीडीए अधिकारियों ने पहले तो बाजारों में व्यापारियों को फोन करने शुरू किए थे कि वे दो प्रतिशत के हिसाब से पूरी संपत्ति के बाजार मूल्य का दो प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क बीडीए कार्यालय में जाकर जमा करें।
जब कोई यह शुल्क जमा करने नहीं पहुंचा, तो बीडीए के राजस्व अधिकारी ने बाकायदा नोटिस जारी करने शुरू किए। नोटिस मिलते ही आवंटियों में हड़कम्प मच गया। पहले कभी इस तरह का शुल्क नहीं लिया गया।
जब अधिकारियों से इस बारे में पता किया गया तो उन्होंने वर्ष 2018 में शासन के नियमों का हवाला दिया। इस संदर्भ में मई 2018 में को राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अरुण पांडेय के हस्ताक्षर से जारी आदेश क्रमांक एफ6-48/2014/सात/नजूल आदेश में नजूल पट्टे नवीनीकरण एवं शर्त उल्लंघन/अपालन अनुसूची के बिंदु क्रमांक 1 पर स्पष्ट दर्ज है कि पट्टा अवधि अवसान के बाद नवीनीकरण हेतु प्रस्तुत आवेदन के मामले में विलंब माफी के लिए (पट्टा अवसान से आवेदन के दिनांक तक के वर्षों के लिए) प्रत्येक चूक वर्ष के लिए आवेदन के दिनांक को लागू गाइडलाइन के आधार पर बाजार मूल्य की 0.01 प्रतिशत शमन राशि ली जा सकती है। अब बाजार मूल्य पर दो प्रतिशत राशि का गणित आवंटियों की समझ से परे हैं।
अरबों रुपए का मामला
जानकार सूत्रों का कहना है कि राजधानी में लगभग तीस प्रतिशत से अधिक प्रॉपर्टी बीडीए की है। साकेत नगर, शाहपुरा, एमपी नगर, कोहेफिजा आदि में ही दस हजार से अधिक संपत्तियां हैं। अनुमान है कि नवीनीकरण पर संपत्ति के बाजार मूल्य की दो प्रतिशत राशि वसूली जाएगी तो अरबों रुपए बीडीए को मिलेंगे।
नियमित लीज नवीनीकरण पर प्रीमियम राशि लेने के लिए बीडीए ने नोटिस दिया है। पहले कभी भी नवीनीकरण पर प्रीमियम राशि नहीं ली गई। बीडीए ने यह संपत्तियों के नवीनीकरण पर यह प्रीमियम राशि इसी साल से शुरू की है। इस तरह की राशि मप्र हाउसिंग बोर्ड भी नहीं वसूलता है। बीडीए में इसका विरोध दर्ज कराया जा रहा है।
– रेखा खानबिलकर, अध्यक्ष, शाहपुरा व्यापारी महासंघ
अक्टूबर 2018 में शासन ने व्यय नियम बनाए थे, जिनके तहत नवीनीकरण, नामांतरण आदि शुल्क लिए जा रहे हैं। अभी मैं कार्यालय से बाहर हूं, इसका पूरा विवरण बाद में कार्यालय जाकर दिया जा सकेगा।
– एमपी सिंह, डिप्टी सीईओ, बीडीए