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बीज निगम के पांच वर्षों के लेखों का ऑडिट महालेखाकार ग्वालियर से कराएं, सीए को नियुक्त कर औपचारिकता पूरी ना करें

locationभोपालPublished: May 23, 2022 11:11:49 pm

Submitted by:

shyam singh tomar

गोयल का कहना है कि विशेषज्ञीय जांच से निगम की वास्तविक वित्तीय स्थिति का पता चलेगाउन्होंने सवाल उठाया कि स्थानीय स्तर पर सीए के चयन से बीज अधिनियम की धारा 28 का उल्लंघन है

बीज निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल ने अब कृषि विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा पत्र, निगम के पांच वर्षों के लेखों का ऑडिट महालेखाकार ग्वालियर से कराएं, सीए को नियुक्त कर औपचारिकता पूरी ना करें

बीज निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल ने अब कृषि विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा पत्र, निगम के पांच वर्षों के लेखों का ऑडिट महालेखाकार ग्वालियर से कराएं, सीए को नियुक्त कर औपचारिकता पूरी ना करें

भोपाल. मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के अध्यक्ष और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मुन्नालाल गोयल निगम की खराब माली हालत के लिए अपने ही अधिकारियों को घेरने के बाद अब पांच वर्षों के लेखों का ऑडिट महालेखाकार ग्वालियर से कराने की मांग उठा रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। उनका आरोप है कि बीज निगम के सिस्टम में पारदर्शिता के लिए जरूरी है वास्तविक वित्तीय स्थिति का पता हो, उसके लिए लेखों का ऑडिट महालेखाकार से करवाना होगा। उनका यह भी कहना है कि 20 मई को पत्र लिखा गया था। प्रमुख सचिव और संचालक कृषि दोनों ने बीज निगम और उसमें जारी गड़बडिय़ों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ऐसा लगता है जैसे वे बीज निगम को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नहीं हैं।
स्थानीय स्तर पर सीए रखकर ऑडिट के नाम पर औपचारिकता पूरी कर रहे
बीज निगम अधिनियम की धारा 28 के अंतर्गत प्रावधान है कि लेखों की संपरीक्षा (ऑडिट) ऐसे व्यक्ति से कराया जाएगा, जिसके संबंध में राज्य सरकार निर्देश देगी। हकीकत यह है कि अभी निगम के लेखों का ऑडिट स्थानीय स्तर पर चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) का चयन कर उसकी नियुक्ति आदेश सहायक प्रबंधक वित्त ने प्रबंध संचालक से अनुमोदन लेकर कर दिया जाता है। यह अधिनियम का सीधा उल्लंघन है। ऐसे में आला अधिकारी सीए बीज निगम की वित्तीय स्थिति का भौतिक रूप से मिलान न करते हुए ऑडिट की औपचारिकता भर पूरी कर रहे हैं। इसके लिए अंकेक्षण प्रतिवेदन संचालक मण्डल की बैठक में रखकर अनुमोदन लिया जा रहा है।
सीएम से की थी शिकायत, सोयाबीन का आठ हजार क्विंटल बीज,चाहिए 3 से 4 लाख क्विंटल
इससे पहले मुन्नालाल गोयल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर शिकायत की थी। सीएम को दिए पत्र में लिखा है कि कि छह साल पहले निगम के पास जहां 132 करोड़ रुपए की कुल अंश पूंजी हुआ करती थी, आज शून्य है। वर्ष 2022 खरीफ फसल में सोयाबीन का मात्र 8 हजार क्विंटल उपलब्ध है, जबकि प्रदेश के किसानों की ओर से 3 से 4 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज की मांग है। खरीफ में ही शामिल अन्य अरहर, मूंग, उड़द के बीजों की मात्रा भी नगण्य है। इसके उलट प्राइवेट सहकारी समितियों में भरपूर है, जिसके पीछे बीज निगम के अधिकारियों की नाकामी जिम्मेदार है।
कृषि विभाग समेत अन्य संस्थाओं पर करोड़ों की राशि लंबित, प्रबंध संचालक का ध्यान ही नहीं
इस तरह से उनका यह भी कहना है कि बीज निगम को कृषि विभाग समेत अन्य संस्थाओं से करीब 38 करोड़ की राशि लेना है। इसमें अकेले कृषि विभाग पर 32.19 करोड़ राशि बकाया थी, जिसमें से गोयल ने समीक्षा करवाकर 10 करोड़ की वसूली करवाई। निगम में प्रबंध संचालक ही अभी कृषि विभाग में संचालक भी हैं, इसके बाद भी यह स्थिति रहना उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े करता है। इसी तरह से सहकारी समितियों पर 5.49 करोड़ रुपए, विपणन संघ पर 33.26 लाख और उद्यानिकी विभाग पर 5.5 लाख रुपए बकाया हैं।
बीज निगम के अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल के अनुसार अगर सरकार उनके सुझावों को मान ले तो बीज निगम की दशा सुधर जाएगी। इनमें से कुछ बिंदु हैं-
1. बीज निगम में कामचलाऊ व्यवस्था के तहत कृषि संचालक को ही प्रबंध संचालक का भी दायित्व दे रखा है। उनके पास न तो निगम कार्यालय आने का समय है और न ही प्रदेश के हालातों को दौरा करने। ऐसे में किसान हित के कई निर्णय समय पर लागू नहीं हो पाते।
2. निगम के 42 फार्म हाउस और 54 प्रक्षेत्रों पर कर्मचारी नहीं हैं, जिससे उनकी उपयोगिता और क्षमता खोती जा रही है। कुल स्वीकृत 520 पदों के विरुद्ध मात्र 167 कर्मचारी हैं। अगले छह महीने में 50 कर्मी और सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
3. बीज निगम पर्याप्त मात्रा में बीज उत्पादन कार्यक्रम के लिए किसानों को समय पर धनराशि और आवंटन करे। निगम को अन्य प्रदेशों में को बीज बेचने की अनुमति दी जाए।
4. नाडेफ और मौनसेटो जैसी प्राइवेट फर्मों, जिनके पास खुद के फार्म हाउस नहीं हैं, फिर भी बीज बेचकर करोड़ों की आय कमा रही हैं। इसके बजाय निगम के माध्यम से इन्हें बीज बेचा जाए।
5. बीज निगम का फार्म हाउस के बाहर अवैध दुकानें-गुमटियां फैलती जा रही हैं। ये भविष्य में परेशानी बनेंगी, इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।
संचालक मण्डल की बैठक में आपत्ति दर्ज कराई थी
संचालक मण्डल की 105वीं बैठक 15 अप्रेल को हुई थी। इसमें अंकेक्षण प्रतिवेदन को लेकर मैंने आपत्ति दर्ज कराई। साथ ही प्रस्ताव किया है कि निगम के पांच वर्षों के लेखों का अंकेक्षण महालेखाकार ग्वालियर से कराया जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
– मुन्नालाल गोयल, अध्यक्ष, मप्र राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम
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