सोनिया गांधी ने विपक्ष के बड़े नेताओं को फोन किया है। उनसे बात की है और कहा है कि संभव हो तो आप 22,23 और 24 मई को दिल्ली में मौजूद रहें। इस काम के लिए सोनिया गांधी ने मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ को भी बड़ी जिम्मेवारी सौंपी है। उनके कंधों पर भी बीजेपी विरोधी दलों से बात करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। कमलनाथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। साथ ही वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं।
कमलनाथ ने जिम्मेवारी मिलने के बाद ओडिशा के सीएम और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक से बात भी की है। कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने इस बात की पुष्टि की है कि कमलनाथ हमारे वरिष्ठ नेता हैं। मोदी सरकार अब जाने वाली है।
दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि अब मोदी सरकार जाने वाली है। लेकिन कांग्रेस को भी अगर पूर्ण बहुमत नहीं मिलती है तो गैर भाजपाई दलों का सहयोग चाहिए। इसलिए नतीजों से पहले ही सोनिया गांधी ने खुद ही कमान संभाल ली है। क्योंकि ज्यादातर राज्यों में चुनाव से पूर्व गठबंधन नहीं हुए हैं। ऐसे नतीजे आने के बाद पोस्ट एलायंस की कवायद की जा रही है।
कमलनाथ को क्यों जिम्मेवारी
साथ ही सवाल यह भी है कि ये जिम्मेवारी सीएम कमलनाथ को ही क्यों सौंपी गईं। कमलनाथ यूपीए सरकार के दौरान संसदीय कार्य मंत्री थे। सोनिया और राहुल गांधी के करीबी बताए जाते हैं। कांग्रेस के पुराने नेता होने की वजह से दूसरे दलों के नेताओं से अच्छे संपर्क हैं। सभी मित्रवत तालुक हैं। इसके साथ ही कॉरपोरेट घरानों में भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस से नाराज गैर भाजपाई दलों को मनाने में कमलनाथ कामयाब होंगे।
साथ ही सवाल यह भी है कि ये जिम्मेवारी सीएम कमलनाथ को ही क्यों सौंपी गईं। कमलनाथ यूपीए सरकार के दौरान संसदीय कार्य मंत्री थे। सोनिया और राहुल गांधी के करीबी बताए जाते हैं। कांग्रेस के पुराने नेता होने की वजह से दूसरे दलों के नेताओं से अच्छे संपर्क हैं। सभी मित्रवत तालुक हैं। इसके साथ ही कॉरपोरेट घरानों में भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस से नाराज गैर भाजपाई दलों को मनाने में कमलनाथ कामयाब होंगे।