अजीत जोगी की कार्यशैली निराली थी। कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कभी चेम्बर में बैठना पसंद नहीं किया। मुझे याद है जब से सीधी कलेक्टर थे। उस दौरान वे पोर्च में बैठकर ही आमजन से मुलाकात करते और मौके पर ही उनकी समस्या का हल कर देते थे। इसका एक लाभ यह भी होता था कि लोग उनसे मुलाकात करने में झिझक नहीं करते थे। अपनी बात भी खलकर कह देते थे। आमजन से साथ उठने बैठने से उन्हें जिले की खबरें भी मिलती रहती थीं, यदि कहीं कोई गड़बड़ होती थी तो पहली सूचना उन्हें आमजन से ही मिलती थी। कई बार तो नेता मजाक में कहते थे कि कलेक्टर साहब के कारण तो उनके पास लोगों ने आना ही बंद कर दिया। यदि ऐसा ही रहा तो उनकी पूछपरख ही कम हो जाएगी। लेकिन यह भी सही है कि वे जिनते आमजन में लोकप्रिय थे, उनते ही नेताओं के बीच भी लोकप्रिय थे।
पूर्व मंत्री रत्नेश सॉलोमन के निधन के बाद उनकी बेटी तान्या सोलमन का जबेरा विधानसभा उप चुनाव के लिए पार्टी ने टिकट दिया। उस दौरान जोगी जी रायपुर में थे। व्हील चेयर में होने के बाद भी वे भांजी का चुनाव प्रचार करने जबेरा पहुंचे। वहंा मेरी भी चुनाव की जिम्मेदारी थी। मैंने देखा कि जोगी जी ने चुनाव प्रचार करने के साथ सभाएं भी लीं।