scriptदाउ के कहने पर वोरा जी ने मंजूर किया था जोगी का इस्तीफा, फिर शुरू की राजनीतिक की पारी | behest of Dow, Vora accepted the resignation of Jogi. | Patrika News

दाउ के कहने पर वोरा जी ने मंजूर किया था जोगी का इस्तीफा, फिर शुरू की राजनीतिक की पारी

locationभोपालPublished: May 29, 2020 10:58:24 pm

वोरा जी नहीं चाहते थे कि बेहतर प्रशासनिक अफसर नौकरी छोड़े। लेकिन जोगी जी अड़े थे कि उनका इस्तीफा मंजूर किया जाए।

दाउ के कहने पर वोरा जी ने मंजूर किया था जोगी का इस्तीफा, फिर शुरू की राजनीतिक की पारी

दाउ के कहने पर वोरा जी ने मंजूर किया था जोगी का इस्तीफा, फिर शुरू की राजनीतिक की पारी

भोपाल। अजीत जोगी जितने अच्छे प्रशासनिक अफसर रहे उतने ही अच्छे वे राजनेता भी थे। उनकी कार्यशैली के कारण कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें पार्टी में शामिल किया। यह कहना है पूर्व मंत्री अजय सिंह का।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की यादों को ताजा करते हुए सिंह ने कहा कि मुझे याद है जोगी जी भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा उनका इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहे थे।
वोरा जी नहीं चाहते थे कि बेहतर प्रशासनिक अफसर नौकरी छोड़े। लेकिन जोगी जी अड़े थे कि उनका इस्तीफा मंजूर किया जाए। मैं उस दौरान विधायक था, मुझे संदेश मिला कि मैं अपने पिता अर्जुन सिंह (दाउ) तक उनका संदेश पहुंचाउं की उनका इस्तीफा मंजूर कराया जाए। उस दौरान मेरे पिता पंजाब के राज्यपाल थे। यह बात वर्ष 1985 की है। दाउ ने वोरा जी से कहा कि इनका इस्तीफा तत्काल मंजूर किया। यही पार्टी का निर्देश है। जोगी जी का इस्तीफा मंजूर होते ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा टिकट दिया और चुनाव जीतकर राज्यसभा तक पहुंचे। जिस तरह वे प्रशासनिक सेवा में सफल रहे उसी तरह उन्होंने राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ी। राज्यसभा के बाद वे लोकसभा और फिर छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंंत्री बने।
चेम्बर में बैठना पसंद नहीं था –
अजीत जोगी की कार्यशैली निराली थी। कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कभी चेम्बर में बैठना पसंद नहीं किया। मुझे याद है जब से सीधी कलेक्टर थे। उस दौरान वे पोर्च में बैठकर ही आमजन से मुलाकात करते और मौके पर ही उनकी समस्या का हल कर देते थे। इसका एक लाभ यह भी होता था कि लोग उनसे मुलाकात करने में झिझक नहीं करते थे। अपनी बात भी खलकर कह देते थे। आमजन से साथ उठने बैठने से उन्हें जिले की खबरें भी मिलती रहती थीं, यदि कहीं कोई गड़बड़ होती थी तो पहली सूचना उन्हें आमजन से ही मिलती थी। कई बार तो नेता मजाक में कहते थे कि कलेक्टर साहब के कारण तो उनके पास लोगों ने आना ही बंद कर दिया। यदि ऐसा ही रहा तो उनकी पूछपरख ही कम हो जाएगी। लेकिन यह भी सही है कि वे जिनते आमजन में लोकप्रिय थे, उनते ही नेताओं के बीच भी लोकप्रिय थे।
व्हीलचेयर से पहुंचे थे भांजी का चुनाव प्रचार करने –
पूर्व मंत्री रत्नेश सॉलोमन के निधन के बाद उनकी बेटी तान्या सोलमन का जबेरा विधानसभा उप चुनाव के लिए पार्टी ने टिकट दिया। उस दौरान जोगी जी रायपुर में थे। व्हील चेयर में होने के बाद भी वे भांजी का चुनाव प्रचार करने जबेरा पहुंचे। वहंा मेरी भी चुनाव की जिम्मेदारी थी। मैंने देखा कि जोगी जी ने चुनाव प्रचार करने के साथ सभाएं भी लीं।
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