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कुल सैलरी मिली दो करोड़, प्रॉपर्टी बनाई 30 करोड़, अब नए कानून में फंसा EX IAS अफसर

locationभोपालPublished: May 23, 2018 11:11:56 am

Submitted by:

Manish Gite

कुल सैलरी मिली दो करोड़, प्रॉपर्टी बनाई 30 करोड़, अब नए कानून में फंसा EX IAS अफसर

benami property

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भोपाल. रिटायर्ड आइएएस और भोपाल के कलेक्टर रह चुके एमए खान को आयकर विभाग की बेनामी विंग ने बेनामी संपत्ति का नोटिस जारी किया है। खान के पास करीब 30 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है, जो उन्होंने भोपाल के अलावा जबलपुर, फरीदाबाद आदि शहरों में खरीदी है। यह संपत्ति परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी है जिसकी अब तक विभाग को कोई जानकारी नहीं दी। इसकी गुप्त जानकारी मिलने पर सामने आया है कि एमए खान ने विभिन्न पदों पर रहते हुए अकूत संपत्ति बनाई। फिलहाल आयकर विभाग ने खान को 15 दिन में नोटिस का जवाब देने को कहा है। इसके पहले भी खान, आयकर की जांच का सामना कर चुके हैं।

 

7 साल का देखा रिकॉर्ड
सूत्रों का कहना है कि खान की प्रॉपर्टी पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। पूरा रिकॉर्ड तलाश करने के बाद देखा गया कि इन्होंने अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी है। पुख्ता जानकारी मिलने पर ही उन्हें नोटिस जारी कर 15 दिन में विभाग में जवाब देने को कहा गया है।

रजिस्ट्रार-रेवेन्यू अथॉरिटी को लिखा
आयकर विभाग ने एमए खान की बेनामी प्रॉपर्टी को लेकर रजिस्ट्रार ऑफ प्रॉपर्टी एवं रेवेन्यू अथॉरिटी को पत्र लिखा है। इसमें प्रॉपर्टी की जानकारी देकर कहा है कि संबंधित प्रॉपर्टी की कोई खरीद-बिक्री नहीं होने पाए।

भोपाल कलेक्टर रह चुके हैं
एमए खान 1991-92 में भोपाल कलेक्टर थे। दिसंबर,92 में बाबरी ढांचा ढहाए जाने के दौरान भड़के दंगे के वक्त उन्हें पद से हटा दिया था। उस समय प्रदेश में सुंदर लाल पटवा की सरकार थी। दंगे रोकने में नाकाम होने पर खान के खिलाफ काफी समय तक जांच भी चली थी।

बेनामी में 219 नाम आ चुके हैं सामने
वर्ष 2016 में आए बेनामी एक्ट के बाद टीनू आनंद जोशी, सरैया, सेवकराम भारती सहित मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में अब तक 219 बेनामी प्रॉपर्टी सामने आ चुकी है। लेकिन एमए खान का इस एक्ट के तहत ऐसा पहला नाम विभाग ने उजागर किया है, जिन्होंने करीब 30 करोड़ की प्रॉपर्टी परिवार-नाते-रिश्तेदारों के नाम पर खरीद रखी है।

कहां-कहां पदस्थ रहे खान
एमआई खान को उद्योग विभाग के अधिकारी थे। वहां से गैर प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर इन्हें आईएएस अवार्ड हुआ। भोपाल कलेक्टर रहे, हस्तशिल्प विकास निगम और औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के एमडी, सिंहस्थ २००४ के दौरान नगरीय प्रशासन में आयुक्त रहे। ग्रामोद्योग विभाग के प्रमुख सचिव से रिटायर्ड हुए।

 

प्रॉपर्टी और उसकी कीमत
1. हुजूर तहसील में फंदा के पास बरखेड़ी वाजियाफाद में 6 एकड़ कृषि भूमि (कीमत लगभग 2 करोड़ रुपए)
2. जबलपुर के राइट टाउन में आशियाना अपार्टमेंट में 1000 स्क्वायर फीट का फ्लैट (कीमत करीब 50 लाख रुपए)
3. अरेरा कॉलोनी स्थित ई-4/316 में 2400 स्क्वायर फीट का भव्य बंग्लोज (कीमत लगभग 2 करोड़ रुपए से अधिक)
4. अरेरा कॉलोनी में ही ई-3/91 में 4500 स्क्वायर फीट का बंगला (कीमत 3 करोड़ रुपए से अधिक)
5. अरेरा कॉलोनी में ई-2/146 में 3000 स्क्वायर फीट में करीब 3 करोड़ का बंगला
6. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, बी-19, कोहेफिजा में 2500 स्क्वायर फीट का मकान (कीमत 1.50 करोड़ रुपए से अधिक)
7. कोहेफिजा स्थित होटल इम्पीरियल सावरे के बाजू 11,500 स्क्वायर फीट का प्लॉट (कीमत करीब 10 करोड़ रुपए)
8. फरीदाबाद के चारमवुड ब्लैज में 900 स्क्वायर फीट का
फ्लैट (कीमत करीब 50 लाख रुपए)
9. दो कृषि भूमि वाजियाफाद, फंदा, तहसील हुजूर में (एक एकड़ और चार एकड़) कीमत करीब 2 करोड़ रुपए।
नए कानून में सात साल की सजा
बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है। यह पहली बार 1988 में पारित हुआ तथा 2016 में इसमें संशोधन किया गया। संशोधित कानून 1 नवम्बर, 2016 से लागू हो गया है। संशोधित बिल में बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है। जुर्माने के साथ सात साल की कैद का भी प्रावधान है।
-एमए खान को बेनामी संपत्ति के मामले में विभाग ने नोटिस जारी किया है। इस मामले में रजिस्ट्रार ऑफ प्रॉपर्टी एवं रेवेन्यू अथॉरिटी को भी पत्र लिखकर खान की संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने को कहा गया है। -आरके पालीवाल, प्रधान आयकर निदेशक (जांच)
ये होती है बेनामी संपत्ति
ये शब्द आपने कई बार सुना होगा। कई लोगों को लगता है कि बेनामी संपत्ति ऐसी संपत्त‍ि है जो बिना नाम की होती है। दरअसल यहां लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता है जिसने इस संपत्त‍ि के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी दूसरे शख्स के नाम पर होता है। यह संपत्त‍ि पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी गई होती है। जिस शख्स के नाम पर ऐसी संपत्त‍ि खरीदी गई होती है, उसे बेनामदार कहा जाता है।
बेनामी संपत्ति का मतलब ऐसी प्रॉपर्टी, जिसका मालिक कागजों में कोई और है, जबकि उसके लिए भुगतान किसी और ने किया होता है। काली कमाई करने वाले लोग बेटा, बेटी, पति पत्नी के लिए ऐसी संपत्ति खरीदते हैं, लेकिन इनकम टैक्स से जुड़े डिक्लेरेशन में इसका कोई जिक्र नहीं होता। कई लोग नौकर, पड़ोसी, दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम पर प्लॉट्स, खेती की जमीन, फ्लैट्स खरीद लेते हैं। दरअसल दूसरे के नाम पर रजिस्ट्री करवाकर उस प्रॉपर्टी की वसीयत बनवा ली जाती है, जिसने काली कमाई से वह प्रॉपर्टी खरीदी होती है।
बेनामी संपत्ति के दोनों पक्ष हैं जिम्मेदार
बेनामी संपत्ति चल या अचल संपत्त‍ि या वित्तीय दस्तावेजों के तौर पर हो सकती है। इसमें संपत्त‍ि के एवज में भुगतान करने वाले के नाम से कोई वैध दस्तावेज नहीं होता है। ऐसे मामलों में बेनामी लेनदेन में शामिल दोनों पक्षों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
आमतौर पर ऐसे लोग बेनामी संपत्त‍ि रखते हैं जिनकी आमदनी का मौजूदा स्रोत स्वामित्व वाली संपत्त‍ि खरीदने के लिहाज से अपर्याप्त होता है। यह बहनों, भाइयों या रिश्तेदारों के साथ ज्वाइंट प्रॉपर्टी भी हो सकती है जिसकी रकम का भुगतान आय के घोषित स्रोतों से किया जाता है।
1988 में पास हुआ था कानून
बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बेनामी लेनदेन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था। इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था।
केंद्र की मौजूदा सरकार ने इस कानून में संशोधन के लिए साल 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया। बीते अगस्त में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी। हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दे दी। नए कानून के तहत सजा की मियाद बढ़ाकर सात साल कर दी गई है। जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
बेनामी संपत्ति कानून से बाहर हैं ये
पत्नी, बच्चों, माता-पिता के नाम खरीदी गई संपत्त‍ि और आय के घोषित स्रोत के जरिये चुकाई गई रकम बेनामी संपत्त‍ि के दायरे में नहीं आती। भाई, बहन, पत्नी, बच्चों के नाम खरीदी गई ज्वाइंट प्रॉपर्टी जो आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदी गई हो, बेनामी संपत्त‍ि नहीं कहलाती है। जिस लेनदेन में एक ट्रस्टी और लाभार्थी शामिल हो।
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