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भेल के आवासों में अवैध रूप से कर रहे निवास, ले रहे लाभ

locationभोपालPublished: Jan 20, 2019 11:07:59 pm

Submitted by:

Rohit verma

जिम्मेदारों की अनदेखी से चारागाह बनी भेल की खाली पड़ी जमीन और टाउनशिप के आवास

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भेल के आवासों में अवैध रूप से कर रहे निवास, ले रहे लाभ

भोपाल/भेल. बीएचईएल (भेल) की खाली पड़ी जमीन और कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए वर्षों पहले बनाए गए आवास चारागाह बने हुए हैं। एक ओर जहां भेल की खाली पड़ी जमीन पर कब्जा कर झुग्गी और मकान बनाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर खाली पड़े आवासों में अवैध रूप से लोगों ने कब्जा जमा रखा है। इन आवासों में कौन रह रहा है यह किसी को पता नहीं है।

ऐसे में भेल टाउनशिप के इन आवासों में रह रहे कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों के जान-माल का खतरा बना हुआ है। भेल प्रबंधन को वेरिफिकेशन करने के साथ ही अवैध रूप से रह रहे लोगों को चिन्हित करके उन्हें बाहर करना चाहिए। ये भेल प्रबंधन को लाखों रुपए की राजस्व हानि पहुंचा रहे हैं।

गौरतलब है कि बीएचईएल के अलावा क्षेत्र में रह रहे अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों को भेल के आवास आवंटित किए गए हैं। जिनसे भेल को राजस्व प्राप्त होने के साथ ही इन आवासों का रख-रखाव भी होता है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की सह पर भेल क्षेत्र की जमीन व टाउनशिप के अंदर लोग जबरिया रह रहे हैं।

 

 

गोविंदपुरा, टीआरटी क्षेत्र और विश्राम घाट से लगे एन-2, एन-1 डी सेक्टर, अन्ना नगर और विकास नगर कस्बे से लगे क्वार्टर, पिपलानी क्षेत्र में पिपलानी बी सेक्टर, सी सेक्टर एवं थाने के पीछे डबल स्टोरी में व डी-3 क्वार्टर पिपलानी के साथ ही बरखेड़ा सी सेक्टर, डी सेक्टर व ई सेक्टर में झुग्गी में रह रहे लोगों ने भेल के खाली पड़े आवासों पर कब्जा कर रखा है। इससे शाम होते ही यहां आपराधिक गतिविधियां शुरू हो जाती हैं।

हो चुकी हैं कई वारदातें
पिपलानी, बरखेड़ा, गोविंदपुरा क्षेत्र स्थित इन आवासों में कई बार बड़ी वारदातें हो चुकी हैं। सूत्रों की मानें तो एक साल में 50 से ज्यादा घरों के ताले टूट चुके हैं। ऐसे में यहां रह रहे कर्मचारी अपना मकान सूना छोडकऱ कहीं भी जाने में भय महसूस करते हैं। जबकि भेल प्रबंधन इन आवासों और खाली पड़ी जमीन की सुरक्षा पर सालाना करोड़ों खर्च कर रहा है।

सुविधाओं में की जाती है कटौती
भेल प्रबंधन द्वारा भेल कर्मचारियों की तमाम सुविधाओं में कटौती की जा चुकी है। इसका प्रभाव कुछ दिन पूर्व हुए वेज रिवीजन पर भी दिखाई पड़ा था। कारखाने में ऐसे आर्थिक हालात में प्रबंधन राजस्व बढ़ाने को गंभीरता से लेता है तो ऐसे मुफ्त की सुविधाएं भोग रहे लोगों पर सख्ती से कार्रवाई करना भेल के रहवासियों और भेल के हित में रहेगा।

 

भवन की सुरक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च
भेल प्रबंधन द्वारा भेल की जमीन और भवनों की सुरक्षा पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके लिए प्राइवेट एजेंसी को ठेेका दिया गया है। इसके तहत 126 गार्ड तैनात किए गए हैं, जिसके लिए ठेकेदार को सालाना करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद भी भेल क्षेत्र की करीब 200 एकड़ जमीन पर झुग्गियां तान दी गई हैं।

करोड़ों रुपए किए जा रहे खर्च सुरक्षा पर
मुफ्त में जला रहे भेल की बिजली
मुफ्त में कर रहे पानी का उपयोग
सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
इन भवनों में कौन रह रहा किसी को कोई पता नहीं
इन मकानों में रहने वालों का नहीं कराया जाता वेरीफिकेशन

 

सालाना आठ करोड़ की बिजली चोरी
भेल क्षेत्र की जमीन पर बनाई गई झुग्गियों और इसके खाली पड़े आवासों में अवैध रूप से रह रहे लोगों द्वारा मुफ्त में बिजली पानी का उपयोग किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इन झुग्गियों और आवासों में रह रहे लोग सालाना करीब आठ करोड़ रुपए की भेल की बिजली मुफ्त में जला रहे हैं। इसके बाद भी भेल प्रबंधन द्वारा इसे रोकने की कोई पहल नहीं की जा रही है। इससे भेल को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

भेल के आवासों में कोई भी अवैध रूप से नहीं रह रहा है। इनमें जो भी निवासी हैं उन सभी को मकान एलॉट किए गए हैं और वे विधिवत मकान का किराया और बिजली पानी का बिल चुका रहे हैं।
राघवेन्द्र शुक्ला, पीआरओ भेल

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