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थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार, लक्षण, कारण और परहेज

locationभोपालPublished: Sep 28, 2018 02:22:59 pm

पुरुषों के मुकाबले महिलाएं थायरॉइड की अधिक शिकार हो रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह तनाव और अवसाद है…

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थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार, लक्षण, कारण और परहेज

भोपाल। थायराइड दरअसल एक एंडोक्राइन ग्लैंड है जो बटरफ्लाई आकार का होता है और ये गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन निकलता है जो शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है। थायराइड ग्लैंड शरीर से आयोडीन की मदद से हार्मोन बनाता है।
इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 में भारत में लगभग चार करोड़ बीस लाख व्यक्ति थायरॉइड के शिकार थे। इसमें भी खास बात यह है कि अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें थायरॉइड है।
वहीं आयुर्वेद के डॉक्टर राजकुमार का मानना है किइसके लक्षण सामान्य होने के कारण अक्सर लोग जांच में लापरवाही बरतते हैं।

थायराइड के लक्षण…
– शारीरिक व मानसिक विकास का धीमा हो जाना।
– 12 से 14 साल के बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
– शरीर का वजन बढ़ने लगता है और शरीर में सूजन भी आ जाती है।
– सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है।
– शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है।
– हर समय थकावट महसूस होना।
– अक्सर और अधिक मासिक-धर्म होता है।
– स्मरणशक्ति कमजोर होना।
– त्वचा और बालों का सूखा और रूखा होना।
– कर्कश वाणी।
– सर्दी न सह नहीं पाना।
– चिड़-चिड़ापन या अधैर्यता।
– ठीक से नींद नहीं आना।
– थायराइड का बढ़ जाना।
– आंख की समस्या या आंख में जलन।
– गर्मी के प्रति संवेदनशीलता।
– शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है।
– उत्तेजना और घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
– शरीर के वजन में असंतुलन पैदा होना।
– कई लोगों की हाथ-पैर की अंगुलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है।
– मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है।
ब्लड जांच से ही पता चलती है बीमारी…
शुरुआती स्तर पर पहचान होने पर थायरॉइड को न सिर्फ आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इससे छुटकारा भी मिल जाता है। पर देर से पहचान होने पर ताउम्र दवा का सेवन करना पड़ सकता है। थायरॉइड की जांच ब्लड टेस्ट से की जाती है। ब्लड में टी थ्री, टी फोर एवं टीएसएच (थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) टेस्ट किया जाता है।
अधिक शिकार हैं महिलाएं…
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं थायरॉइड की अधिक शिकार हो रही हैं। तनाव और अवसाद इसकी एक बड़ी वजह है। थायरॉइड की वजह से महिलाओं को मोटापा, तनाव, कोलेस्ट्रॉल, बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस व अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि इस बारे में कई मिथक भी प्रचलित हैं, जैसे मरीज को जीवनभर दवाओं का सेवन करना होता है या बुजुर्ग महिलाओं को ही थायरॉइड होता है।
थायरॉइड के प्रकार…
आमतौर पर दो प्रकार की थायरॉयड संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं। पहले प्रकार की समस्या को हाइपोथॉयरायडिज्म कहा जाता है। इस में थॉयरायड ग्लैंड धीमी गति से काम करने लगता है और यह शरीर के लिए आवश्यक हॉर्मोन टी-3, टी-4 का निर्माण नहीं कर पाता, लेकिन शरीर में टीएसएच का स्तर बढ जाता है।
दूसरी ओर हाइपर थायरॉयडिज्म की स्थिति में थॉयरायड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है। इससे टी-3 और टी-4 हॉर्मोन अधिक मात्रा में निकल कर रक्त में घुलनशील हो जाता है और टीएसएच का स्तर कम हो जाता है। अब तक हुए रिसर्च में यह पाया गया है कि किसी भी देश की कुल आबादी में से 4 से 10 प्रतिशत लोगों को हाइपोथायरॉयडिज्म और मात्र 1 प्रतिशत लोगों को हाइपरथायरॉयडिज्म की समस्या होती है। ये दोनों ही स्थितियां सेहत के लिए नुकसानदेह हैं।
थायराइड को दूर करने के घरेलू इलाज…
साबुत धनिये का उपयोग : एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रात के समय में भिगोकर रख दें तथा सुबह के समय में इसे मसलकर उबाल लें। फिर जब पानी चौथाई भाग रह जाये तो खाली पेट इसे पी लें तथा गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। यह उपचार लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
दही और दूध का सेवन : जिन व्यक्तियों को थायराइड की समस्या होती है उन्हें दही और दूध का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित रोगियों को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
मुलेठी का सेवन : जिन व्यक्तियों को थायराइड की समस्या होती है उन्हें बहुत जल्दी थकान लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं और थकान को उर्जा में बदल देते हैं और थायराइड की समस्या से निजात मिलती है।
फलों और सब्जियों का सेवन : थायराइड के रोगियों को फलों और सब्जियों का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए. फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जो थायराइड को कभी बढ़ने नहीं देता है। सब्जियों में टमाटर, हरि मिर्च आदि का सेवन करें. इससे थायराइड की समस्या से छुटकारा मिलता है।
फलों का रस : थायराईड रोगों का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (नारियल पानी, पत्तागोभी, अनानास, संतरा, सेब, गाजर, चकुन्दर, तथा अंगूर का रस) पीना चाहिए, इससे थायराईड की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।
थायराइड के उपचार में एक्यूप्रेशर है फायदेमंद…
एक्युप्रेशर थेरेपी के प्रतिबिम्ब बिंदु हाथों एवं पैरों दोनों के अंगूठे के बिलकुल नीचे ऊंचे उठे हुए भाग में स्थित होता हैं जिनके प्रयोग से थायरायड को कम किया जा सकता है।
थायराइड अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों बाएं से दायें प्रेशर देना चाहिए तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं देना चाहिए। इसके अलावा पिट्यूटरी ग्?लैंड के भी प्रतिबिम्ब बिंदु पर भी प्रेशर दें।
इससे थायराइड की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इस विधि का प्रयोग एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार करना चाहिए।

इसका रखें खास ख्याल…
अपने आहार में आयोडीन वाला खाना, कैफीन , रेड मीट,वनस्पति घी, आदि खाद्य पदार्थो का सेवन ना करें. इन सभी खाद्य प्रार्थो के सेवन से थायराइड को बढ़ावा मिलता है. जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
थायराइड के आयुर्वेदिक उपचार…
आयुर्वेद में कुछ उपाय थायरॉइड के लिए दिए गये है जो आपको किसी भी आयुर्वेद के विशेषज्ञ के सलाह के आधार पर ही प्रयोग करना चाहिए।
– 5 किलो आटे के साथ 1 किलो बाजरा का आटा और एक किलो ही ज्वार का आटा मिलकर इस आते से बनी रोटियां खाने से आपको इस रोग में बेहद राहत मिलती है ।
– सुबह खाली पेट आप गो-मूत्र या इसके अर्क का सेवन कर सकते है और इसे लेने के एक डेढ़़ घंटे तक आपको कुछ भी नहीं खाना होता है और मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं इसे ले सकती हैं।
इसके लिए आप प्रात: काल उठकर फ्रेश होने के बाद गो मूत्र को बारीक कपडे से छानकर लें और इस दौरान आप कुछ भी फास्टफूड और तेलिय और गरिष्ट पदार्थो के सेवन से परहेज करें। चाय और काफी का सेवन भी वर्जित है। थायरॉइड के आयुर्वेदिक उपचार में यह बेहद कारगर है।
इसके अलावा मुलेठी, अश्वगंधा, गेहूं का ज्वारा, अलसी, अदरक, इचिन्सिया, बाकोपा, काले अखरोट, नींबी बाम आदि जड़ी-बूटी थायरॉइड के इलाज में लाभदायक सिद्ध होते हैं। एक बार किसी अच्छे आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेना आवश्यक है।
उज्जयी आसन से थायराइड में लाभ…
उज्जयी आसन जरूर करें, कम से कम रोजाना 1 बार अवश्य करें से लाभ हो सकता है, लम्बे समय तक करने से इससे अद्भुत लाभ होते देखे गए है, उज्जायी आसन से थाइरोइड पूरी तरह जड़ से खत्म हो सकता है, इसे आप नियमित रूप से जीवन का हिस्सा बना लें, अवश्य लाभान्वित होंगे!
अपना वजन न बढऩे दें…
सोते हुए या लेते हुए भोजन न करें और न ही टीवी, कंप्यूटर इत्यादी चलाएं! आजकल लोग मोबाइल का इस्तेमाल बहूत अधिक करने लगे है लगातार लम्बे समय टेक इसका इस्तेमाल करने पर ये समस्या गंभीर रूप से बढ़ सकती है!
कोशिश करें की तकिया न लगाए और लगाना ही चाहते है तो बेहद पतली तकिया इस्तेमाल करें, जिससे गर्दन सीधीे ही रहे। हमेशा नींद पूरी लें!

थायरॉइड के मरीज ये नहीं लें…
– सिगरेट और इसके धुएं से बचे इसमे मौजूद थायनोसाईनेट थाइरोइड ग्रंथि को नुक्सान पहुचता है, शराब और किसी भी प्रकार के नशे से बचें!
– ब्रोकली, फूलगोभी और पत्तागोभी नहीं खाना चाहिए ये थाइरोइड में नुक्सान दायक होते हैं। इसके अलावा हर 5-6 महीने में अपनी थाइरोइड जांच जरूर कराएं व चिकित्सक सलाह करके अपनी दवाई नियमित रूप से लें!

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