कैसे होती है ATM कार्ड की क्लोनिंग
वे बताते है कि स्किमर नाम की एक डिवाइस होती है। इस डिवाइस के माध्यम से ही कार्ड की क्लोनिंग की जाती है। स्किमर को एटीएम मशीन के कार्ड स्लॉट लगा दिया जाता है। कार्ड स्वाइप करते ही स्किमर कार्ड की पूरी जानकारी यानी कि उसका नंबर, सीवीवी और अन्य डिटेल कॉपी कर लेता है। ये कवर इतना पतला होता है कि पता भी नहीं चलता है कि कार्ड स्लॉट के ऊपर कुछ लगा हुआ है। एटीएम में अधिकतर फ्रॉड स्किमिंग मशीन के जरिए होता है। कार्ड की पूरी जानकारी एक माइक्रोचिप पर कॉपी कर लेती है। यहां तक की पासवर्ड भी कॉपी हो जाता है। जब आप पैसे निकाल कर चले जाते हैं इस मशीन को लगाने वाले आपके कार्ड की पूरी जानकारी मालूम हो जाती है।
ध्यान रखें ये जरूरी बातें….
– अपने एटीएम का पासवर्ड बदलें।
– बैंक में अपने किए ट्रांजैक्शन का हिसाब रखें और बाद में उसका स्टेटमेंट से मिलान करें।
– कार्ड इंसर्ट करने से पहले चेक कीजिए कि स्लॉट के आसपास कुछ अलग सी चीज़ तो नहीं लगी है।
– जब पैसे निकाल लें तब ट्रांजैक्शन पूरा होने पर ही एटीएम से निकलें।
– एटीएम के आसपास संदिग्ध लोगों से सावधान रहें। अगर कोई बातचीत में उलझाना चाहें तो संभल जाएं।
– आपके अकाउंट से पैसे कटने का एसएमएस आता है और यह ट्रांजैक्शन आपने नहीं किया है तो इसकी सूचना तत्काल अपने बैंक को दें.
– एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरे का डायरेक्शन जरूर चेक करें। कभी भी कीबोर्ड की तरफ सीसीटीवी नहीं लगाया जाता है। एक बार चेक कर लें, यदि कोई कैमरा की-बोर्ड की तरफ फोकस करता हुआ है तो उस एटीएम से पैसे न निकालें और इसकी शिकायत बैंक से करें।
– किसी सुनसान जगह वाले एटीएम से पैसे न निकालें।