जब डाटा मौजूद तो दिक्क्त किया?
सिंह ने कहा कि बदलते फैसले से लगता है कि सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई है कि उसे करना क्या है? भ्रम और बार-बार निर्णयों में बदलाव से सरकार की मंशा किसानों को लाभ पहुंचाने की नहीं है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सवाल किया कि सरकार के पास किसानों से संबंधित सारा डाटा मौजूद है तो फिर पंजीयन का पेंच क्यों? उन्होंने कहा कि शेष सभी 38 लाख किसानों को पंजीयन द्वारा नहीं बल्कि उसके खसरा, ऋण-पुस्तिका आदि के द्वारा उसकी उपज की खरीद करे, उसे नए-नए तरीके से परेशान न करे।
किसानों में पैदा हो रहा आक्रोश
भावांतर योजना को लेकर किसानों की नाराजगी को कांग्रेस लगातार भुनाने का प्रयास कर रही है। सरकार के ही मंत्रियों द्वारा यह मुद्दा उठाया जा चुका है। पिछले दिनों मुरैना के सांसद भी इस मामले में सीएस को पत्र लिखकर किसानों की दुविधा दूर करने की बात कर चुके हैं। प्रदेशभर में योजना को लेकर किसानों द्वारा प्रदर्शन किए जा चुके हैं। सरकार द्वारा योजना के तहत बिना पंजीकृत किसानों को दस रुपए से ज्यादा नकद ने देने को लेकर भी किसान काफी परेशान हैं।
कैबिनेट में भी उठी बात
भावांतर योजना को लेकर सरकार के नुमाइंदों में ही संतोष नहीं है। योजना को लेकर भाजपा के सांसद और मंत्री तक खुलेआम बोल चुके हैं। वहीं किसानों ने सरकार को इसके लिए विधानसभा में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को भी कहा है। दरअसल इस योजना के तहत किसान अपनी उपज तो बेच पाएंगे लेकिन उन्हें हाथ के हाथ नकद राशि नहीं दी जाएगी। जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है उन्हें पचास हजार रुपए तक का भुगतान और बिना रजिस्ट्रेशन वाले किसानों को दस हजार रुपए का नकद भुगतान किया जा रहा है।