Video: राजधानी में ताश के पत्तों की तरह ढह गई पानी की टंकी
राजधानी में ताश के पत्तों की तरह ढह गई पानी की टंकी...

भोपाल। MP की राजधानी भोपाल में बुधवार को एक जर्जर टंकी को ढहा दिया गया। जानकारी के अनुसार बीएचईएल की इस पानी की टंकी को डायनामाइट की मदद से गिराया गया। जो की चंद ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह गई।

सामने आई जानकारी के अनुसार यह टंकी करीब 50 साल पुरानी होने के साथ ही पूरी तरह से जर्जर हो चुकी थी। जिस कारण इसका उपयोग भी प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा था। ऐसे में लगातार अंदेशा बना हुआ था कि अगर इसे समय रहते नही गिराया गया तो यह किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

इस अंदेशे के चलते ही नगर निगम की ओर से ये कड़ा कदम उठाया गया और टंकी को गिराने का फैसला लिया। बताया जा रहा है डायनामाइट के विस्फोट के बाद टंकी के गिरने की रफ्तार इतनी तेज थी कि सिर्फ चार सेकेंड में टंकी जमीदोज हो गई।
इस दौरान सुरक्षा को लेकर नगर पुलिस को भी बुलाया गया था और आसपास के रहवासियों को नजदीक नहीं आने की ताकीद के साथ ही वहां जाने पर भी रोक लगा दी गई थी। यह विस्फोटक विशेषज्ञ की निगरानी में बुधवार सुबह किया गया, जिसके चलते कुछ ही पलों में पानी की टंकी पूरी तरह से ढहा गई।
इधर, मेट्रो के लिए टेंडर! इसी अगस्त में शुरू होगा काम:
वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच एक बार फिर मेट्रो ट्रेन की चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि एलिवेटेड मेट्रो रूट के लिए टेंडर इस महीने के अंत तक जारी हो सकता है और अगस्त में काम भी शुरू हो जाएगा। इसके बाद अंडरग्राउंड रूट का टेंडर जारी होगा।
सूत्रों के अनुसार यदि कोई अड़चन नहीं आई तो चार साल में पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा। भले ही अभी तक यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक (ईआईबी) से लोन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
कहा जा रहा है कि ईआईबी ने लोन देने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। राज्य सरकार ने बजट में 200 करोड़ का प्रावधान किया है। शुरुआत में इसी राशि से काम होगा, तब तक लोन स्वीकृत हो जाएगा। फिलहाल मेट्रो रेल कंपनी केंद्र सरकार के स्तर पर मंजूरी की औपचारिकता पूरी करने पर जोर दे रही है, ताकि काम शुरू हो सके।
9 वर्षों से कागजों पर मेट्रो...
दरअसल, राजधानी में मेट्रो की बात 2009 से चल रही है। लेकिन अब तक यह केवल कागजों पर ही दौड़ रही है। पिछले साल सितंबर में जर्मनी की डीबी इंजीनियरिंग एंड कंसल्टिंग कंपनी को जनरल कंसलटेंट नियुक्त किया गया था।
अगस्त में केंद्र सरकार ने मेट्रो प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की पॉलिसी में बदलाव कर दिया था।
अब मेट्रो को मंजूरी केवल आमदनी और खर्चे के आधार पर नहीं दी जाएगी। बल्कि प्रदूषण, ट्रैफिक, रोजगार आदि पर असर को भी देखा जाएगा। इसमें पीपीपी और टीओडी को भी शामिल किया गया है।
3501.97 करोड़ का लोन होगा:
यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक भोपाल मेट्रो के पहले चरण के 6962.92 करोड़ में से 3501.97 करोड़ रुपए लोन देगा। 1167.33 करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी। 1853.62 करोड़ राज्य सरकार को देना होंगे। 440 करोड़ रुपए पीपीपी से जुटाए जाएंगे। लोन पर ब्याज व अन्य शर्तें अभी तय होना बाकि है।
टीओडी नीति का भी इंतजार :
वहीं अब मेट्रो के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी)भी केंद्र सरकार ने जरूरी कर दिया है। ऐसे में इस पॉलिसी के लागू हुए बिना प्रोजेक्ट को केंद्र की मंजूरी नहीं मिलेगी। प्रदेश की टीओडी नीति पिछले तीन साल से तैयार है, लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हो पाई है।
पिछले साल सितंबर में मास्टर प्लान में टीओडी को शामिल करने के लिए एक संशोधन जारी हुआ था, लेकिन इसकी प्रक्रिया भी अभी तक पूरी नहीं हुई है।
अब पाइए अपने शहर ( Bhopal News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज