वहीं, इस तरह का मामला सामने आने के बाद दमोह के सीएमएचओ तुलसा ठाकुर ने कहा कि महिला की रिपोर्ट आने तक उसे बस में चढ़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। लेकिन भोपाल के अधिकारियों ने कहा है कि उनकी ओर से कोई चूक नहीं हुई है। भोपाल जिला प्रशासन का कहना है कि जानकारी मिलने के बाद त्वरित कार्रवाई की है।
भोपाल जिला प्रशासन के अनुसार, महिला मजदूरों के समूह में शामिल थी। प्रशासन ने उन्हें भोपाल से उनके गृह जिला रीवा और सतना भेजने की व्यवस्था बस से की थी। सरकार मजदूरों को घर भेजने के लिए हर दिन मुफ्त बस की व्यवस्था की है। ताकि गर्मी में उन्हें पैदल न चलना पड़े।
मजदूरों की होती है जांच भोपाल प्रशासन ने कहा कि बाहर से यहां आने वाले सभी मजदूरों की जांच होती है। उनका रैंडम सैंपल लिया जाता है। महिला मजदूर का सैंपल भी उसी तरह से लिया गया था। स्क्रीनिंग के समय हम लोग मजदूरों के नाम, नंबर और पता नोट करते हैं। जैसे ही हमें पता चला कि महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। हम लोगों ने तुरंत महिला को बुलाया तो पता चला कि वह पहले से बस में बैठी हुई थी। उसके बाद बस के चालक से संपर्क किया, तो उसने अपना लोकेशन शेयर किया। उसके बाद हम लोगों ने दमोह प्रशासन को सूचित किया। दमोह में अधिकारियों ने बस को रोकने के लिए हाथापाई करनी पड़ी।
दमोह में सभी क्वारंटीन दमोह सीएमएचओ डॉ तुलसा ठाकुर ने बताया कि भोपाल से सूचना मिलते ही हमलोग चौकी पहुंचे और बस का इंतजार करने लगे। एक क्वारंटीन सेंटर के पास बस को रोका गया। डॉक्टर ठाकुर ने कहा कि जब तक इनकी रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी। बस को सैनिटाइज कर सभी 37 यात्रियों को क्वारंटीन किया गया है।
गौरतलब है कि भोपाल प्रशासन ने इसे अपना चूक मानने से इनकार कर दिया है। साथ ही कहा है कि हमने तुरंत कार्रवाई करते हुए दमोह प्रशासन को सूचित किया।
गौरतलब है कि भोपाल प्रशासन ने इसे अपना चूक मानने से इनकार कर दिया है। साथ ही कहा है कि हमने तुरंत कार्रवाई करते हुए दमोह प्रशासन को सूचित किया।