रिपोर्ट के मुताबिक इस सीजन में 1,54,415 घरों में डेंगू की जांच की गई। 5,834 घरों में लार्वा मिला है। घरों की संख्या के आधार पर भले ही यह आंकड़ा कम लगे लेकिन विपरीत मौसम के लिहाज से बहुत बड़ा है।
यह कमियां इस साल भी बढ़ाएंगी मुश्किल:
45 साल पुराना स्टाफ – जिला मलेरिया कार्यालय में स्टाफ की कमी है। 45 साल पहले विभाग के गठन के बाद का स्टाफ अभी तक चल रहा है। आबादी बढ़ती गई और अमला कम होता गया।
नहीं मिलता केरोसिन – लार्वा खत्म करने जिला मलेरिया कार्यालय पायरेथ्रम दवा का छिड़काव कराता है। इसमें मिलाने वाले केरोसिन के लिए विभाग को लंबा इंतजार करना पड़ता है। दवाएं भी हो रहीं बेअसर
विभाग में सालों से कीट विज्ञानी नहीं है। इससे यह पता नहीं चलता कि जिन दवाओं का छिड़काव हो रहा है, उनका मच्छरों पर असर है भी या नहीं। वहीं बैक्टीरिया और वायरस खुद को दवाओं के अनुरूप ढाल लेते हैं।
विभाग में सालों से कीट विज्ञानी नहीं है। इससे यह पता नहीं चलता कि जिन दवाओं का छिड़काव हो रहा है, उनका मच्छरों पर असर है भी या नहीं। वहीं बैक्टीरिया और वायरस खुद को दवाओं के अनुरूप ढाल लेते हैं।
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक डेंगू के हजार से भी ज्यादा मरीज सामने आए थे। इनमें से चार की इस बैक्टीरिया के प्रभाव से मौत हो गई थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक डेंगू के हजार से भी ज्यादा मरीज सामने आए थे। इनमें से चार की इस बैक्टीरिया के प्रभाव से मौत हो गई थी।
जानें डेंगू को…
वैसे तो किसी भी तरह का बुखार खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन डेंगू बुखार में व्यक्ति की हालत खराब हो जाती है। इस बुखार को ‘हड्डीतोड़’ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पीड़ित व्यक्ति को इतना अधिक दर्द होता है कि लगता है जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है। इसीलिए इसमें और डेंगू बुखार के लक्षणों में फर्क समझ नहीं आता। यही वजह है कि इस बुखार के इलाज में जरा-सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है।
वैसे तो किसी भी तरह का बुखार खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन डेंगू बुखार में व्यक्ति की हालत खराब हो जाती है। इस बुखार को ‘हड्डीतोड़’ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पीड़ित व्यक्ति को इतना अधिक दर्द होता है कि लगता है जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है। इसीलिए इसमें और डेंगू बुखार के लक्षणों में फर्क समझ नहीं आता। यही वजह है कि इस बुखार के इलाज में जरा-सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है।