कमलनाथ सरकार ने खटलापुरा नाव हादसे ( bhopal boat capsize ) की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। इसी के साथ सवाल मजिस्ट्रियल जांच के आदेश देने पर भी सवाल उठ रहे हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच पर सवाल उठाए हैं।
शिवराज ने बताया आपराधिक लापरवाही
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि यह हादसे के जिम्मेदार और दोषियों पर कार्रवाई होना चाहिए। शिवराज सिंह ने जांच पर सवाल उठाया है कि वरिष्ठ अधिकारियों की गलती एडीएम कैसे निकालेंगे। चौहान ने इसे कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर को जिम्मेदार ठहराया है। जिला प्रशासन और नगर निगम का काम है कि विसर्जन घाट पर गोताखोरों की व्यवस्था रखें, पुलिस और होमगार्ड की जिम्मेदारी है कि नाव में अधिक लोगों को न बैठने दिया जाए।
जांच पर उठाए सवाल
चौहान ने कहा कि मजिस्ट्रियल जांच भोपाल के एडीएम करेंगे। जबकि गलती कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर की है।
-अपने वरिष्ठ अधिकारियों की गलती एडीएम कैसे निकाल पाएंगे। कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर सहित अन्य अधिकारियों को हटाकर इनके वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराना चाहिए। पुलिस के आला अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
पुलिस प्रशासन के इन अफसरों को होना था तैनात
पुलिस प्रशासन की तरफ से खटलापुरा की व्यवस्था पर डीआईजी अरशाद वली, एसपी संपत उपाध्याय, सीएसपी अलीम खान, एएसपी अखिल पटेल, महिला थाना प्रभारी अनिता नायक, टीआई वीरेंद्र सिंह चौहान को व्यवस्था पर नजर रखना चाहिए था। लेकिन यह सभी अफसर नदारद थे और सिर्फ आरआई अनिल गवाड़े को तैनात रखा था। लेकिन, घटना के वक्त यह भी गायब थे। इसलिए इन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। जबकि इसी मामले में आरआई अनिल गवाड़े को खटलापुरा से गायब रहने के मामले में निलंबित कर दिया गया।
जिला प्रशासन से इन अफसरों को रखना था नजर
भोपाल के जिला प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं, वे व्यवस्था पर नजर नहीं रख पाया है। हालांकि देर रात को दो बजे जब कलेक्टर ने दौरा किया, उसके बाद जिला प्रशासन की तरफ से कोई अफसर घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। कहा जा रहा है कि जिला प्रशासन की तरफ से कलेक्टर तरुण पिथौड़े, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार को व्यवस्था पर नजर रखना था, लेकिन इनकी तरफ से भी किसी की तैनाती नहीं की गई है।
तो टाला जा सकता था हादसा
सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है कि घाटों की व्यवस्था कलेक्टर, महापौर, नगर निगम, कलेक्टर एवं एसपी देखते हैं। आयोजन से पहले यह दौरा करते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं नजर आया। यदि तैयारियों का जायजा पहले ले लिया जाता तो हादसे को टाला जा सकता था।
नगर निगम आयुक्त को हटाएं
आईटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने भोपाल नाव हादसे पर पत्रिका से बातचीत में कहा कि जब धारा 144 लगी हुई है तो ऐसे में प्रशासन को आयोजन स्थल पर व्यवस्था करना चाहिए थी। नगर निगम की कोई बोट नहीं थीं, गोताखोर नहीं थे। लाइफ जैकेट और लाइट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।
अजय दुबे के मुताबिक इस पूरे मामले में प्रथम दृष्टया नगर निगम जिम्मेदार हैं। नगर निगम आयुक्त विजय दत्ता मानिटरिंग करने में फेल साबित हुए हैं। इसलिए उनको हटाना चाहिए, बल्कि उनके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज करना चाहिए।
हाईकोर्ट के जज से कराएं जांच
अजय दुबे ने कहा कि जांच का फैसला नाकाफी है। इस पर भी सवाल उठते हैं। इसकी ज्यूडिशियल जांच हाईकोर्ट के जज से कराई जाना चाहिए। क्योंकि सरकार के आदेश के बाद जो अफसर जांच करेंगे वे क्या उच्च पदस्थ अफसरों की जांच करने के लिए सक्षम होंगे।