रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि पंजाब की तरह मध्य प्रदेश में भी जेल विभाग को गृह विभाग के साथ जोड़ दिया जाए, ताकि भविष्य में क़ैदियों के जेल से भागने की इस तरह की घटनाएं ना हों।
ज्ञात हो कि भोपाल सेंट्रल जेल ब्रेक का ये मामला 2016 का है। दरअसल 30 और 31 अक्टूबर , 2016 की दरम्यानी रात को भोपाल सैंट्रल जेल ब्रेक कर सिमी के 8 विचाराधीन क़ैदी केंद्रीय जेल के प्रहरी रमाशंकर यादव की हत्या कर भाग निकले थे।
जो बाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में ये मारे गए थे। इस मामले में जांच आयोग ने घटना के लिए 10 अधिकारी व कर्मचारियों को जिम्मेदार माना हैं। इस घटना की जांच सरकार ने सात नवंबर 2016 को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसके पांडे को सौंपी थी।
10 अधिकारियों को माना जिम्मेदार…
मध्यप्रदेश के विधानसभा के मानसून सत्र की सोमवार को हंगामेदार शुरुआत हुई है। इसमें कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव रखा और चर्चा की मांग की। वही सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही सरकार ने एक के बाद 17 विधेयक सदन में पेश कर दिए। इसमें अनुपूरक बजट भी शामिल था। इसके बाद सदन में कांग्रेसी विधायक हंगामा करते रहे और अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
मध्यप्रदेश के विधानसभा के मानसून सत्र की सोमवार को हंगामेदार शुरुआत हुई है। इसमें कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव रखा और चर्चा की मांग की। वही सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही सरकार ने एक के बाद 17 विधेयक सदन में पेश कर दिए। इसमें अनुपूरक बजट भी शामिल था। इसके बाद सदन में कांग्रेसी विधायक हंगामा करते रहे और अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
हालांकि हंगामे के पहले आय़ोग द्वारा आज भोपाल सेंट्रल जेल ब्रेक घटना और एनकाउंटर मामले की जांच सदन में पेश की । आयोग ने रिपोर्ट में जेल के दस अधिकारी-कर्मचारियों को जिम्मेदार माना है।
आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि दीवारों की ऊंचाई कम होने की वजह से 8 सिमी आतंकी जेल की दीवार फांदने में कामयाब हुए थे। सिमी आतंकियों ने चादर और लकड़ी के टुकड़े से सीढ़ी बनाकर जेल ब्रेक किया था। इसके लिए आयोग ने जेल विभाग के 10 अधिकारी-कर्मचारियों को जिम्मेदार माना है। इसके साथ ही आयोग ने यह भी माना है कि तात्कालिक परिस्थितियों में बल प्रयोग जरूरी था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जेल से भागे 8 सिमी आतंकियों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग की। इतना ही धारदार हथियार से भी उन्होंने पुलिस पर हमले किए, इसके बाद पुलिस ने जवाबी फायरिंग की जिससे आतंकी मारे गये।
गौरतलब है कि भोपाल सेंट्रल जेल तोड़कर फरार हुए सभी आठ कैदी अंडरट्रायल थे। उन पर प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े होने का आरोप था। इन सभी आरोपियों को पुलिस ने कुछ घंटे बाद ही भोपाल सेंट्रल जेल से लगभग 15 किमी दूर एक मुठभेड़ में मार गिराया था। हालांकि भोपाल पुलिस ने खुद को बचाने के लिए कहा था कि आठों अंडर ट्रायल कैदियों ने पहले पुलिस पर फायरिंग की थी और उसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वे सब मारे गए थे।