दक्षिण अफ्रीका की कोयल यहां चहक रहीं
भोपाल बड्र्स के मोहम्मद खलिक के अनुसार यहां रफ, ब्लैक टेल्ड गोडविट, स्पॉटेड रेड शेंक, पेंटेड स्टोर्क, सारस क्रेन, ओरिएंटल प्रेंटिकोल, स्पॉट बिल डक, कोंब डक, कूट आदि स्थानीय प्रवासी पक्षी दिखाई दे रहे हैं, जो गर्मी में प्रवास करते हैं। ब्लू टेल्ड बी ईटर म्यांमार तथा दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं। हालांकि, ये हर साल यहां प्रवास पर नहीं आते। वहीं, पैराडाइस फ्लाईकैचर मप्र का राज्य पक्षी है लेकिन ये दक्षिण से प्रवास कर आता है। यह मई से अगस्त तक देखा जा सकता है। इतना ही नहीं कोयल की प्रजातियां इंडियन कुकु, यूरेशियन कुकु, ग्रे बेलीड कुकु, एशियाई कोयल भी यहां आ रही है। पाईड क्रेस्टेड या जेकोबीन कुकु को यहां जून से सितम्बर तक देखा जा सकता है। यह दक्षिण अफ्रीका से आती है।

पक्षी विशेषज्ञ सुदेश वाघमारे का कहना है कि प्रवासी पक्षी पानी, खाना और सुरक्षा देखकर अपना ठिकाना बनाते हैं। बड़ा तालाब के आसपास लगातार निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, इससे यहां के वातावरण धीरे-धीरे पक्षियों के प्रतिकूल होता जा रहा है। तालाब में भी मानवीय गतिविधियां बढ़ने से प्रवासी पक्षियों को परेशानी होती है। यदि यहीं स्थितियां रहीं तो धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने लगेगी। वहीं, खलिक का कहना है कि बड़ा तालाब के साथ कलियासोत, केरवा, हताईखेड़ा, वन विहार में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी देखे जा रहे हैं। यहां ब्लैक रेड स्टार्ट, ब्लू थ्रोट, बूटेड वार्बलर, रेड हेडेड बंङ्क्षटग, ग्रे हेडेड बटिंग नजर आ रहे हैं। ये पक्षी रूस, साइबेरिया, चीन के साथ मंगोलिया और दक्षिण पूर्व एशिया से पहुंचते हैं।