एडिशनल एसपी संजय साहू ने बताया कि अवधपुरी इलाके में हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड के बाद पूरे जिले की नाकाबंदी करवा दी गई थी लेकिन जिस लड़के पर परिजन संदेश जता रहे थे उसका कुछ अता पता नहीं चल पा रहा था।
जानकारी निकालने पर पता चला कि लड़के की मां मृतक डीएसपी के साथ कभी मंडला में पदस्थ थी और उनके बीच कुछ विवाद था। इसी बीच मृतक के मोबाइल से उस लड़के का एक पुराना मोबाइल नंबर मिला जिसे सर्विलेंस में लेकर ट्रैक करने की कोशिश शुरू की गई। काफी देर तक नंबर बंद आता रहा लेकिन कुछ घंटों के बाद उसे चालू किया गया, अंधे हत्याकांड में मिले इस इकलौते सुराग का पीछा करते हुए साइबर नेटवर्क की सहायता से मोबाइल को ट्रेस करना चालू किया जो भोपाल की सीमा से निकलकर विदिशा की सीमा में दाखिल हो चुका था।
एडिशनल एसपी संजय साहू ने बताया कि बगैर किसी लापरवाही के पूरी ताकत मोबाइल को ट्रेस करने में लगाई गई और जब यह देखा गया कि मोबाइल लगातार भोपाल से दूर जा रहा है तो आनन-फानन में विदिशा एसपी को लोकेशन बताई गई। विदिशा एसपी ने लाइव मोबाइल लोकेशन के आधार पर राजगढ़ के पास एक गाड़ी को रुकवाया तो उसमें हिमांशु नाम का एक लड़का मिला जो बगैर नंबर की नई कार से सागर की तरफ जा रहा था। इतना सब होने तक भोपाल में यह पता लगा लिया गया था कि हिमांशु ने ही डीएसपी को गोली मारी है। विदिशा पुलिस को सारी जानकारी दी गई जिसके बाद 24 घंटे के अंदर ही प्रमुख आरोपी पुलिस के शिकंजे में था। घटना की जांच करने वाले एडिशनल एसपी साहू ने बताया कि हत्या वाले दिन शाम करीब साढ़े सात बजे हत्या करने के बाद नेहरू नगर पुलिस लाइन का रहने वाला हिमांशु अपनी बिना नंबर की सफेद कलर की कार से फरार हो गया था। पुलिस उसे तलाश रही थी। उसकी तलाश के लिए तीन टीमें गठित की गई थीं।
हिमांशु ने हत्या करने के बाद अपने तीन दोस्तों को मीनाल रेसीडेंसी के पास फोन करके बुलाया था। उसने अपने दोस्तों को हत्या के बारे में जानकारी दी और हत्या में इस्तेमाल 315 बोर का कट्टा ठिकाने लगाने के लिए दे दिया था। पुलिस ने डिपो चौराहा के पास रहने वाले हिमांशु के तीनों दोस्तों चैतन्य शर्मा (28), शक्तिनगर निवासी अनिल राजपूत (25) और सुभाष कॉलोनी निवासी सूरज यादव (20) को भी गिरफ्तार कर लिया। एडिशनल एसपी संजय साहू ने बताया कि इस प्रकरण को सुलझाने में मोबाइल और साइबर नेटवर्क की काफी मदद मिली साहू खुद भी साइबर एक्सपर्ट हैं उन्होंने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर इस पूरे मामले में गवाह तैयार किए और आरोपी को पकडऩे के बाद अपराध साबित करने लायक दस्तावेज तैयार किए।