घटनास्थल पर यूरिया मिला था। टंकी में भी कुछ यूरिया की मात्रा महसूस हुई। वहां से कैन, पम्प की मोटर टंकी जब्त कर लीं। वहां दूध की डिलेवरी लेने आया गोपाल गुर्जर मौके से भाग गया लेकिन टैंकर ड्राइवर फरहान हमारे हाथ लगा। जिसे लेकर क्राइम ब्रांच आए तो उसने सब बताना शुरू कर दिया किस तरह वह रोजाना एक टैंकर से 2000 लीटर दूध निकालकर पानी मिलाते थे और दूध गाढ़ा करने के लिए मनमानी मात्रा में यूरिया तक मिला देते थे।
आरोपियों ने बताया कि यह टैंकर योगेन्द्र पांडे के हैं, जिसके 20 टैंकर चलते हैं। वही यह सब करवाता है। हम जीपीएस निकालकर औबेदुल्लागंज के पास ढाबे के पास पंचर जुड़वाने वाले के पास रख आते हैं जिससे लोकेशन वहीं की दिखती रहे। आरोपियों ने बताया कि इस मामले में सांची के कर्मचारियों की भी मिलीभगत है। गेट पर सील चेक करने वालों से लेकर दूध की जांच करने वाले तक को हिस्सा जाता है। प्राथमिक जानकारी में कई टैंकरों में मिलावट की खबर सामने आई लेकिन जब तक क्राइम ब्रांच कार्रवाई करती इसकी जानकारी बाकी मिलावट खोरों तक पहुंच चुकी थी।
टैंकर को क्राइम ब्रांच में खड़ा किया गया। खाद्य विभाग के अधिकारियों को बुलाकर जांच कराई गई। जांच में सामने आया कि दूध में केमिकल है और यह उपयोग के योग्य ही नहीं है। खाद्य विभाग ने मिलावटखोरी का मामला दर्ज कर लिया। फरहान की गिरफ्तारी के चार दिन बाद चार दिन बाद टैंकर के मालिक योगेन्द्र पांडे को भी गिरफ्तार किया। सभी आरोपियों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई।
अलग-अलग पाइंट पर अड्डे बनाकर 60-70 टैंकरों से दूध चोरी किया जा रहा था। जिससे हर दिन लाखों रुपए का दूध चोरी करके बेचा जा रहा था। आरोपियों ने इसके लिए सीहोर की ओर पनीर बनाने वाली बड़ी कम्पनी से डील कर रखी थी चोरी का दूध वहीं भेजा जा रहा था। कई तरह के दबाव आए लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने फ्री हैंड दिया और इसे अंजाम तक पहुंचाया गया।