गैस कांड में हो गई थी ‘मौत’
शकीला बानो की कव्वाली के दिवाने लोग कहते हैं कि भले ही उनका निधन 16 दिसंबर 2002 को हुआ था, लेकिन वो तो पहले ही खत्म हो गई थीं। 2-3 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस कांड में शकीला की आवाज चले गई थी। जब शकीला की आवाज दुनियाभर में सुनी जा रही थी, उसी दौर में किसी गायक की आवाज छिन जाए, इसका दर्द शायद ही कोई महसूस कर सकता है।
बेबाक अंदाज के लिए थी चर्चित
उस दौर में एक मुस्लिम महिला का परदे में से बाहर निकला और पुरुषों के सामने बैठकर कव्वाली करना लोगों को बड़ा हैरान करता था, लेकिन शकीला ने अपने बेबाक अंदाज और दबंग व्यक्तित्व के कारण अपनी अलग ही धाक जमाई थी। काफी लम्बे संघर्ष के बाद उन्हें फ़िल्में और स्टेज पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिला। शकीला बानो ने कभी विवाह नहीं किया। उनके परिवार में एक बहन और एक भाई हैं। उनके साथ बाबू कव्वाल के साथ उनकी जोड़ आज भी जानी जाती है। दोनों के बीच होने वाला मुकाबला दर्शकों को बांधे रखता था।
जब बॉलीवुड ने हाथों हाथ लिया
50 के दशक में शकीला बॉलीवुड के संपर्क में आ गई। उस जमाने के सुपर स्टार दिलीप कुमार भी शकीला के फैन हो गए। वे जब दिलीप कुमार के बुलावे पर मुंबई पहुंची तो कव्वाली के शौकीन लोगों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया। इसके बाद फिल्मों में भी उनकी आवाज का जादू चला। 1957 में निर्माता जगमोहन मट्टू ने अपनी फ़िल्म ‘जागीर’ में एक्टिंग करने का मौका दिया। इसके बाद उन्हें सह-अभिनेत्री, चरित्र अभिनेत्री की भूमिका मिलती रही। HMV कंपनी ने 1971 में उनकी कव्वाली का पहला एलबम बनाया तो पूरे भारत में शकीला बानो पहचानी जाने लगीं।
जैकी श्राफ ने की मदद
गैस कांड में आवाज छिन जाने के बाद शकीला अक्सर बीमार रहने लगी थी। उन्हें दमे, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर रहने लगा था। जब उनका अंतिम दौर अभाव में गुजर रहा था, तब जैकी श्राफ जैसे नामी कलाकार उनकी मदद के लिए आए, लेकिन वो मदद भी काफी नहीं रही। इसके बाद शकीला ने अपना सबकुछ भाग्य पर छोड़ दिया था। उनके इन हालातों पर उन्हीं की एक मशहूर कव्वाली सटीक बैठती है।
अब यह छोड़ दिया है तुझ पर चाहे ज़हर दे या जाम दे…