scriptएक किस्सा: राजीव गांधी के इशारे पर छोड़ा गया था 20वीं सदी का सबसे बड़ा आरोपी, 15 हजार मौतों का था गुनहगार! | Bhopal Gas Tragedy: inside Story of rajeev gandhi and Arjun Singh role | Patrika News

एक किस्सा: राजीव गांधी के इशारे पर छोड़ा गया था 20वीं सदी का सबसे बड़ा आरोपी, 15 हजार मौतों का था गुनहगार!

locationभोपालPublished: Dec 03, 2019 01:56:45 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

भोपाल गैस त्रासदी की आज 35वीं बरसी है।

एक किस्सा: राजीव गांधी के इशारे पर छोड़ा गया था 20वीं सदी का सबसे बड़ा आरोपी, 15 हजार मौतों का था गुनहगार !

एक किस्सा: राजीव गांधी के इशारे पर छोड़ा गया था 20वीं सदी का सबसे बड़ा आरोपी, 15 हजार मौतों का था गुनहगार !


भोपाल. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसमें लगभग 15 हजार से अधिक लोगों की जान गई। हालांकि मौत के आंकड़ों को लेकर अभी भी बहस जारी है कि आखिर कितने लोगों की मौत हुई है। इस हादसे के वक्त मध्यप्रदेश के तत्कालीन सीएम का नाम था अर्जुन सिंह। हादसे के बाद अर्जुन सिंह ने बात कही थी। उन्होंने कहा था भोपाल गैस त्रासदी के दौरान देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मेरे कान में एक बात कही थी। जिसे मैं कभी किसी से नहीं कहूंगा और यह राज मेरे साथ हमेशा के लिए दफन हो जाएगा।
गैस त्रासदी का जख्म आज भी लोगों के जेहन में है। गैस त्रासदी के साथ कई नाम भी हैं जो लोगों के जेहन में हैं। उनमें से एक नाम है। यूनियन कार्बाइड कारखाने के मालिक वारेन एंडरसन का। दूसरा नाम है मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, तीसरा नाम है तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी और पांचवा नाम है जिलाधिकारी रहे मोती सिंह का। इन नामों को लेकर तरह-तरह के किस्से हैं। यूनियन कार्बाइड कारखाने की लापरवाही के कारण लोगों की मौत हुई थी। इस आरोप में यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के मालिक वारेन एंडरसन को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
एक किस्सा: राजीव गांधी के इशारे पर छोड़ा गया था 20वीं सदी का सबसे बड़ा आरोपी, 15 हजार मौतों का था गुनहगार !
एंडरसन और उनके दो साथी इंडियन एयरलाइंस की एक नियमित फ़्लाइट से भोपाल आते हैं। जब उनका विमान भोपाल हवाई अड्डे पर लैंड कर रहा था तो उन्होंने खिड़की के शीशे से देखा तो बाहर पुलिसकर्मियों का एक बड़ा दल खड़ा था। विमान रुका केबिन एडरेस सिस्टम पर घोषणा हुई, ‘मिस्टर एंडरसन, मिस्टर महिंद्रा एंड मिस्टर गोखले आर इनवाइटेड टू लीव द एयरक्राफ़्ट फास्ट। भोपाल के पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी ने विमान की सीढ़ियों के सामने गर्मजोशी से हाथ मिला कर आगंतुकों का स्वागत किया। विमान से दस फ़िट की दूरी पर ही एक सफ़ेद एंबेसडर कार खड़ी थी। एंडरसन कार की पिछली सीट पर बैठे और रवाना हो गए। उनके पीछे एक और कार चल रही थी जिसमें स्वराज पुरी और ज़िला कलेक्टर मोती सिंह सवार थे। कार पहुंची थी गेस्ट हाउस।
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कार रुकी वहां पहले से ही मौजूद पुलिस मौजूद थी। एंडरसन गाड़ी से नीचे उतरा। एक पुलिसकर्मी सामने आया और बोला। आप तीनों को गिरफ़्तार किया जाता है। एंडरसन यह सुनकर अवाक रह गया। पुलिस अफ़सर ने आगे कहा, ‘हमने ये क़दम आपकी सुरक्षा के लिए ही उठाया है। आप अपने कमरे के अंदर जो करना चाहें, कर सकते हैं. लेकिन आपको बाहर जाने, फोन करने और लोगों से मिलने की इजाज़त नहीं होगी। अभी ये बात हो ही रही थी कि मोती सिंह और स्वराज पुरी भी वहां पहुंच गए। लेकिन अगले दिन एक और घटना घटी। एसपी स्वराज पुरी, वॉरेन एंडरसन के पास पहुंचते हैं। स्वराज पुरी ने कहा- वारेन एडंरसन आपको तुरंत छोड़ा जा रहा है, लेकिन आपके भारतीय साथियों को बाद में रिहा किया जाएगा। पुरी ने कहा, ‘मध्य प्रदेश सरकार का एक जहाज़ आपको दिल्ली ले जाने के लिए तैयार खड़ा है। वहां से आप अपने विमान से वापस अमरीका जा सकते हैं।
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भोपाल गैस त्रासदी का ये आरोपी हमेशा के लिए भारत से भाग जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने वारेन एंडरसन को विशेष विमान से भोपाल से निकलने की सुविधा उपलब्ध करवाई थी। एंडरसन को गैरकानूनी रूप से निजी मुचलके और जमानत पर छोड़ दिया गया। सिर्फ गिरफ्तारी पंचनामे पर एंडरसन के हस्ताक्षर लिए गए थे, जबकि निजी मुचलके, जमानतनामे पर हस्ताक्षर नहीं लिए गए।
एक किस्सा: राजीव गांधी के इशारे पर छोड़ा गया था 20वीं सदी का सबसे बड़ा आरोपी, 15 हजार मौतों का था गुनहगार !
गैस त्रासदी को लेकर दिवंगत नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में 12.08.2015 को एक भाषण दिया था। इस भाषण में उन्होंने भोपाल गैस त्रसादी का जिक्र किया था। सुषमा स्वराज ने लोकसभा में अपने भाषण पर पूर्व सीएम अर्जुन सिंह की लिखी एक किताब का जिक्र करते हुए इस घटना की सच्चाई बताई थी। सुषमा स्वराज ने कहा था- वारेन एडरसन भारत छोड़कर क्यों गया इसके पीछे राजीव गांधी का हाथ था। राजीव गांध का एक दोस्त आदिल शहरयार अमेरिका की एक जेल में 35 सालों के लिए बंद था। राजीव गांधी ने अपने दोस्त आदिल शहरयार को बचाने के लिए एंडरसन को छोड़ने का समझौता किया था। राजीव के इसी समझौते के बाद इस सदी की सबसे बड़े आरोपी को छोड़ दिया गया था। एंडरसन फिर लौटकर कभी भारत नहीं आया और आज 35 साल बाद भी इस घटना के जख्म ताजा हैं।

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