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कम पड़ गई थी 15 हजार क्विंटल लकडिय़ां, सारे डिपो हो गए थे खाली

locationभोपालPublished: Dec 02, 2021 09:51:18 pm

Submitted by:

praveen malviya

– गैस कांड के वक्त वन विभाग के बोगदा पुल डिपो के प्रभारी रहे सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक ने बताई उस दिन के हालात
 

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भोपाल. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भोपाल गैस त्रासदी में कुल तीन हजार 787 मौतें हुई थीं। लेकिन गैस कांड के अगले तीन-चार दिनों में हुए अंतिम संस्कारों की आंकड़े कुछ दूसरी ही कहानी बता रहे हैं। गैस कांड के बाद वन विभाग के डिपो से दाह संस्कारों के लिए इतनी लकडिय़ां गई थीं जिनसे पांच हजार से अधिक अंतिम संस्कार हो जाएं, यह संख्या तो केवल दाह संस्कारों की है, इसके अतिरिक्त अन्य तरीकों से हुए शवों के अंतिम संस्कारों को जोड़ दें तो यह आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से दोगुने से कहीं अधिक का दिखता है।
1984 में शहर के सबसे बड़े बोगदा पुल डिपो के इंचार्ज रहे एसके मल्ल बताते हैं, गैस त्रासदी के दूसरे दिन से अंतिम संस्कारों के लिए लकडिय़ां रवाना होना शुरू हो गईं थी। तब डिपो में 14 हजार क्विंटल से अधिक लकड़ी थी, लेकिन दो ही दिनों में डिपो पूरा खाली हो गया। इसी तरह दूसरा डिपो माता मंदिर तो तीसरा 1464 डिपो था। इन दोनों डिपो में थी लगभग दो-दो हजार क्विंटल लकडिय़ों का स्टॉक था अगले दो दिनों में वह भी पूरी तरह खत्म हो गया। एक दाह संस्कार में सामान्य तौर पर ढ़ाई से तीन क्विंटल लकड़ी लगती है। शहर भर डिपो से जितनी लकडिय़ां दाह संस्कारों के लिए गई उससे स्पष्ट है कि गैस कांड के बाद पांच-छह हजार से अधिक तो दाह संस्कार ही हुए होंगे, लेकिन इन मौतों की सच्चाई कभी सामने ही नहीं आ सकी।
खाली हो गए 70 से ज्यादा पीठे
उन दिनों शहर में लकड़ी के 70 से ज्यादा पीठे थे जो जलावन लकड़ी की बिक्री करते थे। इन पीठों के मालिक भी दो से तीन ट्रक लकडिय़ां बेचने के लिए रखते थे। गैस कांड के बाद वह सारे डिपो भी खाली हो गए।

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