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नरेला शंकरी के राकेश खटीक ने बताया कि उनकी मां को डी- ब्लाक में भर्ती कराया गया था। गुरुवार सुबह उनकी मृत्यु हो गई। डॉक्टर ने कहा कि स्टाफ को बुा रहे हैं, थोड़ी देर बाद शव मिल जाएगा, लेकिन शव को पॉलीथिन में पैक करने के लिए वार्ड ब्वाय नहीं मिले। डॉक्टरों के हाथ-पैर जोड़ने के करीब पांच घंटे बाद मां का शव मिल सका।
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डी ब्लाक में न स्टाफ न व्यवस्थाएं
कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए डी ब्लाक में सबसे ज्यादा दिक्कत है। यहां कोरोना मरीजों के लिए करीब 250 बेड लगाए गए हैं, लेकिन इन पर काम करने के लिए न तो नर्स हैं न ही वार्ड ब्वाय। कहने को अस्पताल में 500 नर्सिंग स्टाफ और 150 परमानेंट वार्ड ब्वाय है, लेकिन सभी कोरोना वार्ड में काम न करने की कोशिश करते हैं।
हमीदिया अस्पताल की अधीक्षक डा. आइडी चौरसिया का कहना है कि मरीजों के बढ़ने से व्यवस्थाएं भी थोड़ी बहुत बिगड़ती हैं। डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य भी लोग दिनरात कोरोना मरीजों के लिए काम कर रहे हैं।