मीडिया से बात करते हुए मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा है कि सरकार पेंशन घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। तरुण भनोत ने इसमें शामिल लोगों पर बरसते हुए कहा कि इंदौर में हजारों अपात्रों और मृतकों के नाम पर पेंशन की राशि निकाल लिए गए। इससे बड़ा अपराध दूसरा और क्या हो सकता है। लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
भनोत ने यह भी कहा कि इस मामले की जांच कर रही मंत्रियों की समिति सभी कानूनी पहलुओं को समझ रही है और जैन आयोग की अनुशंसाओं का अध्ययन भी कर रही है। वित्त मंत्री तरुण भनोत यह भी साफ कर दिया कि बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वित्त मंत्री के इस बयान से जाहिर है कि आने वाले दिनों में कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कमेटी में हैं तीन मंत्री
पेंशन घोटाले की जांच कर रहे कमेटी में वित्त मंत्री तरुण भनोत, कमलेश्वर पटेल और महेंद्र सिंह सिसौदिया हैं। कमेटी की एक बैठक हो चुकी है और दूसरी बैठक 31 अक्टूबर को प्रस्तावित थी। लेकिन मंत्री कमलेश्वर पटेल और महेंद्र सिंह सिसोदिया को प्रभार वाले जिले में स्थापना दिवस समारोह में जाने की वजह से बैठक स्थगित कर दी गई। अब अगली बैठक में यह कमेटी अपनी अंतिम रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को सौंपेगी।
मंत्रियों की कमेटी ने अभी तक जो फाइंडिंग की है, उसमें यह बात सामने आई है कि अफसरों और विजयवर्गीय को बचाने की कोशिश की गई है। मंत्रियों की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार यह जांच ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त को सौंप सकती है।
मंत्रियों की फाइंडिंग में ये बात आई सामने
जांच के लिए गठित मंत्रियों की कमेटी ने यह पाया है कि सहकारी समितियों की ओर से जारी पैसा वापस जमा कराया गया। यह करीब सोलह लाख था। यह राशि फर्जी और मृत हितग्राहियों के नाम पर दी। जांच होने पर यह राशि वापस जमा कराई, जबकि पूर्व में बांटी जा चुकी थी। कमेटी ने माना है कि पैसा वापस आना ही अपराध साबित करता है। इसके साथ ही तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय के सहयोगी रमेश मेंदोला की नंदानगर सहकारी साख संस्था को पेंशन बांटने का काम दिया गया। कमेटी ने प्रारंभिक रूप से माना है कि ये गलत था, इसमें दबाव में काम हुआ। 26 संस्थाओं के जरिए गलत पैसा बांटा गया।