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हनी ट्रैप में दो बड़े अधिकारियों का ‘तमाशा’, असमंजस में ‘चुप’ है सरकार

locationभोपालPublished: Sep 29, 2019 02:02:36 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

आखिरी दो अधिकारियों के विवाद पर सरकार चुप क्यों है…

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भोपाल/ मध्यप्रदेश में हनीट्रैप को लेकर दो बड़े पुलिस अधिकारियों का तमाशा जारी है। एसटीएफ और साइबर सेल के डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने खुलकर डीजीपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दोनों की लड़ाई की खबर सीएम कमलनाथ तक पहुंच गई है। लेकिन सरकार अभी अपनी साख को लेकर चुप है।
हनीट्रैप में हसीनाओं की गिरफ्तारी के बाद से ही प्रदेश के रसूखदारों में खलबली है। अभी तक इस मामले में सियासी दल एक-दूसरे की चरित्र हनन की कोशिश में लगे थे। अब अफसर इस मामले में कथित रूप से एक-दूसरे को निपटाने की जुगत में लग गए हैं। इन बातों को बल तब मिला जब एसीटीएफ और साइबर सेल के गाजियाबाद स्थित गेस्ट हाउस को डीजीपी ने खाली करवा दिया।
डीजीपी कर रहे साजिश
गाजियाबाद के गेस्ट हाउस को खाली करवा इसके तार हनीट्रैप से जोड़े जाने लगे। उसके साइबर सेल के डीजी भड़क गए और उन्होंने कहा कि डीजीपी चरित्र हनन की साजिश कर रहे हैं। यहीं नहीं पुरुषोत्तम शर्मा ने तो इसके लिए सीएम को भी पत्र लिखा। साथ ही गठित एसआईटी पर भी उन्होंने सवाल उठाया है और कहा कि इसका गठन शुरू से ही विवादों में है। अब एसआईटी की मॉनिटरिंग का जिम्मा पीएचक्यू के बाहर के किसी अधिकारी को सौंप दिया जाए।
विवाद में है एसआईटी
पुरुषोत्तम शर्मा एसआईटी पर भी सवाल उठा रहे हैं, उन्हें लगा रहा है कि डीजीपी वीके एसआईटी को ढाल बनाकर कुछ लोगों को साध सकते हैं। वो खुद के लिए डीजीपी पर आरोप भी लगा रहे हैं। दरअसल, एसआईटी का गठन इसलिए विवादों में है कि पहले इसके चीफ सीआईडी के आईजी श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था। 24 घंटे के अंदर ही संजीव शमी को चीफ बना दिया गया। संजीव शमी ने व्यापमं मामले की भी जांच की थी लेकिन वो भी बेनतीजा ही रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या एसआईटी इस मामले की निष्पक्ष जांच कर पाएगी।
तकरार से हो रही सरकार की किरकिरी
पुलिस महकमे के दो बड़े अधिकारी सार्वजनिक रूप से झगड़ रहे हैं। ऐसे सरकार के इकबाल पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जब इतने बड़े अधिकारी एक-दूसरे पर संगीन आरोप लगा रहे हैं तो फिर सरकार चुप क्यों है। हनी ट्रैप मामले में कहा जा रहा है कि जब सैकड़ों नेता और अफसरों के इन हसीनाओं के पास वीडियो हैं, तो दो अफसरों के तकरार से लोगों का भरोसा भी उठेगा। पुरुषोत्तम शर्मा ने भी कहा है कि ऐसे विवादों की वजह से डीजीपी की भूमिका पर सवाल उठेंगे।
सरकार चुप क्यों
दोनों अधिकारियों के तमाशे पर सरकार खामोश है। सरकार इस असमंजस में चुप है कि कार्रवाई किस पर करें। अगर तुरंत कोई एक्शन लेती है तो विरोधियों के निशाने पर आ जाएगी। साथ ही सकार के सामने चुनौती यह भी है कि कार्रवाई किस पर करें। अगर डीजीपी को हटाते हैं तो संदेश गलत जाएगा। उनका कार्यकाल अभी दो सालों का बचा हुआ है। पुरुषोत्तम शर्मा पर भी कार्रवाई का संदेश ये जाएगा कि गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाने पर उन्हें हटा दिया गया।
खामोश होकर तमाशा देख रही सरकार?
ऐसे में कहा जा रहा है कि सरकार इस पूरे प्रकरण पर नजर रख रही है। सीएम कमलनाथ भी जांच की आंच कहां तक पहुंच रही है, उससे अपडेट हो रहे हैं। मामला कुछ शांत होने पर शायद कोई बड़ा फैसला ले लें। लेकिन फिलहाल अधिकारियों के विवाद पर वह वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं।

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