मराठी सांस्कृतिक मंडल के सचिव एम गोडबोले ने बताया कि इसका निर्माण सन् 1975 में कराया गया था। भेल के तत्कालीन एचआइआरएल प्रतिष्ठान प्रमुख स्वयंभूजी ने मंदिर की आधारशिला रखी थी। तब से अभी तक यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह से चंद्रोदय तक मेला लगता है। इस दिन यहां अथर्वशीर्ष के पठन-आवर्तनों से अभिषेक आदि होता है। इस मंदिर में 400 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है। यह विराजमान भगवान गणेश की मूर्ति जयपुर से मंगाई गई थी। सफेद संगमरमर से निर्मित यह 2.5 फीट ऊंची यह प्रतिमा मूर्तिकला की एक अद्भुत मिसाल है।
राजस्थान से आई थी मूर्ति
मंदिर के लिए मराठी सांस्कृतिक मंडल ने मूर्ति भी राजस्थान मूर्तिकला केंद्र, जयपुर के मनोहरलाल पांडे से बनवाई। राजस्थान के अच्छी क्वालिटी के सफेद संगमरमर से निर्मित यह 2.5 फीट ऊंची यह प्रतिमा मूर्तिकला की एक अद्भुत मिसाल है। गणेश चतुर्थी के अलावा भी हर बुधवार को यहां पर सैकड़ों श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आते हैं।
यहां पर है पुस्तकालय
भेल के पिपलानी सी सेक्टर स्थित गणेश मंदिर में एक पुस्तकालय भी संचालित होता है। इस पुस्तकालय में करीब 45 हजार से अधिक नई व पुरानी प्रतिष्ठित लेखकों की किताबें सहेजकर रखी गई हैं। 1 लाख 50 हजार रुपए से अधिक कीमत की मराठी भाषा की विवध विषयों पर लिखी पुस्तकें भी यहां पर उपलब्ध हैं। यहां का सुंदर लॉन भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।