scriptराजधानी में महिला पुलिस: हर एक पर है करीब 6500 महिलाओं की जिम्मेदारी | Bhopal Mahila Police Staff to stop Girls and Women Rape in Bhopal | Patrika News

राजधानी में महिला पुलिस: हर एक पर है करीब 6500 महिलाओं की जिम्मेदारी

locationभोपालPublished: Nov 06, 2017 11:09:46 am

यहां पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा होती है आपराधिक वारदातों की शिकार, आपबीती सुनाने के लिए भी दूसरे थानों से बुलानी पड़ती है महिला पुलिस।

mahila police
भोपाल। राजधानी में आपराधिक वारदातों की शिकार पुरुषों से ज्यादा महिलाएं होती हैं। छीनाझपटी हो, बलात्कार की घटनाएं या फिर चाहे अपहरण, महिलाएं ही इसका शिकार बनती हैं। बावजूद, पुलिस में महिलाओं की संख्या न के बराबर है।
हालात यह कि राजधानी में महिलाओं की आबादी 13 लाख के करीब पहुंच गई है। जबकि इनकी सुरक्षा के लिए महज 200 सौ महिला पुलिसकर्मी राजधानी पुलिस में तैनात हैं। महिला पुलिसकर्मियों की इतनी कम संख्या में ही सरकार, पुलिस अफसर महिलाओं की सुरक्षा-रक्षा का दावा करते हैं। पुलिस में महिलाओं की संख्या कम होने से अपराधी इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि राजधानी में आपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है। 2011 में हुई जनगणना में भोपाल में 11 लाख 28 हजार के महिलाओं की संख्या थी।
कागजी कार्रवाई करने वाला तक कोई नहीं –
राजधानी के थानों के हालात यह कि कोई भी महिला अपराध होने पर दूसरे थानों से महिला कर्मचारी को कागजी कार्रवाई के लिए बुलाना पड़ रहा है। वह भी सिर्फ उसकी मौजदूगी ही वहां पर जरूरी होती है। बाकी का सारा काम पुरुष पुलिसकर्मी ही करते हैं। यही नहीं, रात में अगर महिलाओं पर कोई मुसीबत पड़ जाती है तो वह थाने जाने के नाम से ही कांप उठती हैं। उन्हें पता होता कि महिला कांस्टेबल तो होंगी नहीं। पुरुष कांस्टेबल से वह कैसे सुनाएंगी आपबीती।
थानों में महिला लॉकअप ही नहीं –
शहर के महिला थाने को छोड़कर 42 अन्य थानों में किसी पर महिला लॉकअप नहीं है। ऐसे में कोई महिला आरोपी को पकडऩे के बाद पुलिस उसे महिला थाने लेकर आती है। अगले दिन पूछताछ के लिए उसे फिर उसी थाने लेकर जाना पड़ता है। इसकी वजह कि कई थानों में आरोपी की निगरानी में महिला पुलिसकर्मी नहीं होने से कोई आरोप लगा सकता है।
फैक्ट फाइल-
= 1,20,000 — प्रदेश में स्वीकृत पुलिस बल।
= 86,946 — वर्तमान में कार्यरत पुलिस बल।
= 1100 — प्रदेश में पुलिस थाने ।
= प्रदेश में 86946 हजार पुलिस कर्मियों में सिर्फ 4190 महिलाएं।

दस सबसे संवेदनशील स्थानों पर की पड़ताल –
राजधानी में गुरुवार को हुई गैंगरेप जैसी घटना के बावजूद शहर की पुलिस सक्रीय नहीं दिख रही है। घटना के महज 24 घंटे बाद पत्रिका ने शहर के दस सबसे संवेदनशील स्थानों का जायजा लिया।
यहां पुलिस के साथ महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से तैयार मैत्री पुलिस भी कहीं नजर नहीं आई। मैत्री पुलिस को 30 स्कूटर दिए गए हैं। मैत्री पुलिस का जिम्मा महिलाओं की सुरक्षा करना है, लेकिन कॉलेज व स्कूल के आसपास पेट्रोलिंग तक नहीं की जा रही। अब एेसा लगने लगा है कि सुरक्षा की दृष्टि से मिले स्कूटर पुलिस कर्मचारी स्वयं की सुविधाओं के लिए प्रयोग में ला रहे हैं।
कॉलेज में 354 लड़कियां और 1425 लड़के हैं जिनकी सुरक्षा के लिए एक महिला सुरक्षाकर्मी और ३ पुरुष सुरक्षाकर्मी हैं। कॉलेज परिसर के अंदर 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुरक्षाकर्मियों की संख्या में और इजाफा जल्द किया जाएगा।
– डॉ. अंतिमा तिवारी, प्रभारी इंचार्ज प्रिंसिपल, नवीन कॉलेज
गल्र्स कॉलेज होने के कारण परिसर को अधिक सुरक्षित रखा जाता है। इसके लिए सात पुरुष और दो महिला सुरक्षा कर्मियों को परिसर में अलग-अलग जगह तैनात किया गया है। इसके अलावा परिसर को ३० कैमरे की निगरानी में रखा जाता है।
– डॉ. अल्का प्रधान, प्रोफेसर, नूतन कॉलेज
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