गौरतलब है कि अधूरे भवनों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट देने के मामले में अपर आयुक्त मलिका निगम नागर, वीके चतुर्वेदी और सिटी प्लानर जीएस सलूजा को दोषी पाने के बाद उन्हें मूल विभाग भेजकर विभागीय जांच की अनुशंसा निगमायुक्त ने की थी। मामले में इन्हें एकतरफा रिलीव कर दिया था। इस पर ही शासन से आपत्ति कर अफसरों ने फिर से नगर निगम में लौटने की राह बनाई थी। पूरे मामले में बैकफुट पर आने के बाद निगमायुक्त ने बेहद संभलकर काम किया और नगर निगम परिषद के संकल्प क्रमांक के साथ प्रस्ताव जीएडी व नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेज दिया।
उम्मीद की जा रही है कि अगले दो-तीन दिन में इन अफसरों की रिलिविंग संबंधी निर्देश आ जाएंगे। इसके बाद इन्हें दोबारा रिलीव कर दिया जाएगा। नगर निगम के जोन नंबर 18-19 में मलिका निगम नागर पर 13 कंप्लीशन जारी करने, चतुर्वेदी पर चार और जीएस सलूजा पर 17 सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया था। इसी आधार पर 6 फरवरी की बैठक में रिपोर्ट जाहिर होने के बाद इन्हें तत्काल प्रभाव से रिलीव कर दिया गया था। चूंकि ये रिलिविंग नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 58 (3) के तहत अवैधानिक थी, इसलिए इसे स्थगित कर दिया गया था। अब निगमायुक्त नियमानुसार प्रस्ताव भेजकर मूल विभाग से ही रिलिविंग करा रही हैं।
इस मामले में जारी नोटिस और की जा रही कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे रामायण बिल्डर को भी निगम की ओर से जवाब दे दिया गया है। चीफ सिटी प्लानर की ओर से बिंदुवार जवाब दिया गया। इसमें बिल्डर द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों को नियमों और धाराओं के आधार पर खारिज कर कोर्ट को बताया गया कि कंप्लीशन सर्टिफिकेट रद्द होना क्यों जरूरी है।