पेड़ काटने की अनुमति निगम उद्यान शाखा से मिलती है। प्रति पेड़ पंाच हजार रुपए जमा होते हैं। निगम की टीम मौके पर पेड़ कटवाती है और लकड़ी साथ ले जाती है। आवेदक को एक के बदले पांच पेड़ लगाना जरूरी है। पेड़ काटने के बाद कहां और कितना पौधरोपण किया है, भौतिक सत्यापन जरूरी है।
ग्रीन बेल्ट पर लगातार चला रहे आरी
बीआरटीएस: मिसरोद से बैरागढ़ तक 22 किमी लंबे डेडिकेटेड बीआरटीएस लेन के लिए 800 से अधिक पेड़ों को काटा गया। ये पेड़ 15 से 20 साल पुराने थे। इसके अलावा 1500 ऐसे पेड़ काटे गए, जिनकी उम्र पांच से दस साल थी।
स्मार्ट सिटी: टीटी नगर की 332 एकड़ जमीन पर लगे 40 साल पुराने एक हजार से अधिक पेड़ एबीडी प्रोजेक्ट के लिए काटे जाएंगे। कई पेड़ काट दिए हैं। बुलेवार्ड स्ट्रीट के लिए 1500 पेड़ काटे जाने हैं।
मेट्रो रेल: एम्स से सुभाष नगर फाटक के बीच 50 से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं। राजधानी में ऐसे सात रूट बनाए जाने हैं। मेट्रो कंपनी ने इन रूट्स के लिए एक हजार से अधिक पेड़ों को काटे जाने की रिपोर्ट तैयार की है।
अमित ओझा, पीआरओ, मैनिट
मैनिट प्रबंधन के कहने पर पेड़ काटे गए। शिकायत नगर निगम से की गई, जिसके बाद कटे पेड़ों को परिसर के अंदर जंगल में छिपा दिया। आयुक्त को फोटो उपलब्ध कराई हैं।
शरद सिंह कुमरे, सामाजिक कार्यकर्ता
टीम भेजकर मामले की पुष्टि कराने का प्रयास किया था। दोबारा परीक्षण कराया जाएगा। बगैर अनुमति पेड़ काटे गए हैं तो कार्रवाई की जाएगी।
बी. विजय दत्ता, निगमायुक्त