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दो करोड़ रुपए की लागत से तैयार ग्रीन-ब्लू मास्टर प्लान, दो साल से कागजों में सिमटा

locationभोपालPublished: Jan 23, 2020 12:40:54 am

Submitted by:

manish kushwah

ऊर्जा, जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए स्मार्ट सिटी ने वर्ष 2018 में बनवाया था प्लान

दो करोड़ रुपए की लागत से तैयार ग्रीन-ब्लू मास्टर प्लान, दो साल से कागजों में सिमटा

दो करोड़ रुपए की लागत से तैयार ग्रीन-ब्लू मास्टर प्लान, दो साल से कागजों में सिमटा

भोपाल. स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने दो करोड़ रुपए खर्च कर वर्ष 2018 में ग्रीन और ब्लू मास्टर प्लान तो बनवाया, पर दो साल बाद भी अमल नहीं हुआ। जानकारों के मुताबिक ये प्लान लागू होता तो शहर में 100 ग्रीन बिल्डिंग, ग्रीन एनर्जी-बायोमास से बसों का संचालन, सीवेज ट्रीटमेंट और मोबाइल ऐप की सुविधा मिलने लगती। इस प्रोजेक्ट के लिए 90 लाख रुपए कम लेने वाली एजेंसी की बजाय 1.80 करोड़ में केपीएमजी कंपनी को इसका ठेका दिया गया। बाद में राशि बढ़ाई गई और ये दो करोड़ तक पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्लान में जितनी देरी होगी, शहर की जैव विविधता पर उतना ही संकट गहराएगा। जल स्रोत अतिक्रमण और प्रदूषण की चपेट में हैं तो हरियाली पर भी विकास की कुल्हाड़ी चल रही है।
शहर की तस्वीर बदलने इतने काम होना है
-बिल्डर्स, डिजाइनर, आर्किटेक्ट्स और मजदूरों को विशेषज्ञ ट्रेनिंग देते। इससे ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा अमल में आती।
-सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रमाणीकरण के लिए ग्रीन लैब तैयार होती।
-बिल्डिंग्स की ऊर्जा जरूरतों को मॉनीटर और नियंत्रित करने के लिए बिल्डिंग एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम विकसित होता।
-नगर निगम सीमा के 33 पम्पों की क्षमता बढ़ाई जाती। इनमें राजाजी कुआं पम्पिंग स्टेशन, ईदगाह डब्ल्यूटीपी, बैरागढ़ डब्ल्यूटीपी, याच क्लब, बैरागढ़ रॉ वाटर, कमला पार्क और फतेहगढ़ में बादल महल को शामिल किया है।
-पार्कों और उद्यानों में सोलर पैनल से लैस स्ट्रीट लाइट लगाना।
-सोलर रूफ टॉप सिस्टम को बढ़ावा देने सौर ऐप विकसित किया जाना था।
-पेड़ों के बागान विकसित कर पानी के बहाव को नियंत्रित करना, ताकि बाढ़ का खतरा कम हो।
-पहले चरण में कलियासोत, जहांगीराबाद, लहारपुर, हताईखेड़ा, बड़ा तालाब, पातरा नाला तक 10.6 वर्ग किमी क्षेत्र को प्रोजेक्ट में शामिल किया गया।
-153.02 किमी ग्रीन कॉरिडोर-ग्रीन वे के नेटवर्क का काम शुरू होना था। इसके तहत कलियासोत नहर कॉरिडोर, जहांगीराबाद कॉरिडोर और मोतिया तालाब, बड़ा बाग क्षेत्र में फुटपाथ, साइकिल ट्रैक और पैदल यात्री क्रॉस बनना थे।
-50 बसों के संचालन में बायोगैस का उपयोग किया जाना था। सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से 55 एमएलडी बायोगैस का उत्पादन
होना था।
-आकृति ईको सिटी, मिसरोद, चिनार फॉच्र्यून सिटी, मीनाक्षी प्लेनेट सिटी, बाग मुगालिया में डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट सिस्टम विकसित कर दूषित जल को उपचारित करना।
-राजधानी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए इंटरेक्टिव ऐप तैयार होना था।
वर्ष 2036 तक 100 ग्रीन बिल्डिंग का लक्ष्य
प्लान के तहत राजधानी में वर्ष 2036 तक 100 ग्रीन बिल्डिंग बनाने का लक्ष्य है। पहले चरण में ऊर्जा संरक्षण पर फोकस है। इसकी मियाद वर्ष 2020 से 2031 तक है। दूसरे चरण में जल संरक्षण पर कार्य किया जाना है, इसके लिए वर्ष 2021 से 2032 तक की समयसीमा तय है। तीसरे चरण में वर्ष 2022 से 2033 तक गृह व्यवस्था और जल प्रबंधन को बेहतर करना है।
स्मार्ट सिटी के काम की समीक्षा की जा रही है। प्रमुख सचिव के माध्यम से प्रत्येक प्रोजेक्ट पर हमारी नजर है। इन्हें बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। कहीं कमी है तो अतिरिक्त मॉनीटरिंग की जाएगी।
जयवद्र्धन सिंह, मंत्री, शहरी आवास एवं विकास
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