पीएम-10 यानी पार्टिकुलेट मैटर हवा में घुले हुए 2.5 से 10 माइक्रोमीटर तक की साइज के अतिसूक्ष्म कण हैं। हवा में इनकी संख्या जितनी बढ़ती जाती है, वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मापदंडों के अनुसार 24 घंटे में 65 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। इससे अधिक होने पर कार्डियोवैस्कुलर डिसीज के साथ श्वास संबंधी बीमारियां भी बढ़ती हैं।
पर्यावरणविद् सुदेश वाघमारे के अनुसार राजधानी में हरियाली घटती जा रही है। इसके साथ जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं, उनकी धूल को रोकने के लिए समुचित इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसी तरह जर्जर सड़कों से लगातार धूल उड़ रही है। पुराने वाहने हवा प्रदूषित कर रहे हैं। इस कारण यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।