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मासूम की हत्या- 96 घंटे तक सर्च ऑपरेशन का हिस्सा रहे अफसर, सपने में दिखती थी बच्ची

locationभोपालPublished: Oct 11, 2020 07:18:24 pm

Submitted by:

Sumeet Pandey

सीसीटीवी में नाना-नानी की करतूत देखकर खड़े हो गए थे रोंगटे
 

मासूम की हत्या- 96 घंटे तक सर्च ऑपरेशन का हिस्सा रहे अफसर, सपने में दिखती थी बच्ची

मासूम की हत्या- 96 घंटे तक सर्च ऑपरेशन का हिस्सा रहे अफसर, सपने में दिखती थी बच्ची

भोपाल . पुलिस की नौकरी में वीभत्स समाचार और दृश्य देख-देख कर एक अधिकारी और कर्मचारी का दिलो-दिमाग ऐसी बातों का अभ्यस्त हो जाता है और आमतौर पर आने वाले ऐसे मामलों को देख कर असहज नहीं होता। लेकिन अयोध्या नगर थाना अंतर्गत मंदिर प्रांगण में जो हुआ उसने शहर के नागरिकों के साथ पुलिस कर्मचारियों के भी रोंगटे खड़े कर दिए थे। पहली बार तो हम लोगों को ऐसा लगा मानो यह किसी भयंकर मानसिक रोगी की हरकत है जिसने दो दिन की नवजात बच्ची को कहीं से चोरी कर उसके शरीर को बेरहमी से नुकीली चीज से काट और गोदकर फेंक दिया था।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे वैसे इस केस की जांच में लगी पुलिस अधिकारियों की टीम भी बेचैन होने लगी। आपस में चर्चा के दौरान कई बार अधिकारियों ने बताया कि उन्हें नींद में भी बच्ची दिखती थी। लगभग 96 घंटे की कड़ी मेहनत और साक्ष्यों को बारीकी से समझ कर हमने इस केस की गुत्थी को सुलझा लिया और आखिर में नवजात बच्ची की हत्या के आरोप में उसके नाना-नानी को हिरासत में लिया गया। नवजात बच्ची हत्याकांड प्रकरण में जांच का अनुभव पत्रिका से साझा करते हुए एडिशनल एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि पुलिस सेवा में कई बार ऐसे मामले भी सामने आते हैं जब पुलिस अधिकारी और कर्मचारी यह सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं कि आखिर वह भी एक इंसान हैं और उन्हें भी वीभत्स समाचार और दृश्य अंदर तक झकझोर देते हैं।
अंदेशा था लेकिन ऐसा होगा सोचा नहीं था
एडिशनल एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि पुलिस सेवा के अनुभव के आधार पर जब बच्ची मृत अवस्था में मिली थी तो उसे देखकर और मौके पर गए कर्मचारियों की बातें सुनकर यह एहसास हो गया था कि किसी ने अनचाहा बच्चा रास्ते से हटाने का प्रयास किया है। भदौरिया ने बताया कि पुराने कुछ केसों में देखा गया है कि आमतौर पर इस तरह के प्रकरण में बच्ची की मां की सहमति या खुद बच्ची की मां ही ऐसा करती पकड़ी गई है। लेकिन जैसे-जैसे साक्ष्य की कड़ी जोड़ते गए तो आखिर में जो कहानी सामने आई एक नया अनुभव देकर गई। पीडि़त लड़की को उसकी बच्ची से जुदा करने के लिए माता-पिता यानी मृतक बच्ची के नाना-नानी ने अहम किरदार निभाया था। गर्भवती बिन ब्याही पीडि़ता को उसकी झुग्गी झोपड़ी के पास ही रहने वाले बहादुर यादव नामक व्यक्ति ने जोर जबरदस्ती कर इस स्थिति में पहुंचाया था। लोक लाज के डर और दबाव के चलते पीडि़ता के माता-पिता ने जघन्य फैसला ले लिया और खुद इस मामले में हत्या के आरोपी बन बैठे।
सब जगह ढूंढा, सीसीटीवी काम आया

एडिशनल एसपी भदौरिया ने बताया कि नवजात बच्ची मृत अवस्था में मिलने के बाद अयोध्या नगर थाना पुलिस ने आसपास के सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम में डिलीवरी का रिकॉर्ड चैक किया और संबंधित माता-पिता से मिलकर उनके नवजात बच्चे की खैरियत पूछी। जब अयोध्या नगर थाना क्षेत्र में कुछ नहीं मिला तो जांच का दायरा और बढ़ाया गया और आस पास के बाकी थाना क्षेत्रों के अस्पतालों का रिकॉर्ड चेक किया गया। जब यहां भी कुछ नहीं मिला तो फिर घटनास्थल के आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज बारीकी से चैक की गई जिसमें गर्भवती पीडि़ता का पिता पूरन अहिरवार संदिग्ध अवस्था में नजर आया। उससे पूछताछ में पता चला कि उसकी पत्नी विद्या बाई ने अपनी बिन ब्याही बेटी का अनचाहा गर्भ ठिकाने लगाने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा था। इस मामले में पीडि़ता के साथ जोर जबरदस्ती करने वाले बहादुर सिंह यादव को भी बलात्कार का आरोपी बनाया गया है।

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