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अशोका गार्डन थाने के पीछे 150 करोड़ की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण

locationभोपालPublished: Oct 23, 2020 01:41:43 am

Submitted by:

manish kushwah

कब्जा हटाने पर पथराव, जान बचाकर भागे अधिकारी, वाहनों में की तोडफ़ोड

अशोका गार्डन थाने के पीछे 150  करोड़ की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण

अशोका गार्डन थाने के पीछे 150 करोड़ की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण

भोपाल. अशोका गार्डन थाने के पीछे 150 करोड़ रुपए कीमत की 15 एकड़ सरकारी जमीन पर कई लोगों के वर्षों पुराने कब्जे हैं। कई फैक्ट्री संचालित हो रही हैं, जिसमें फर्नीचर से साइन बोर्ड व अन्य सामान बनाए जा रहे थे। कई गोदाम बने थे, जिनमें पटाखे, फर्नीचर, प्लास्टिक सामान, गुटखा भरा था। प्रशासन, पुलिस व नगर निगम की संयुक्त टीम गुरुवार को कब्जा हटाने पहुंची। शाम साढ़े चार बजे के बाद कुछ लोगों ने जेसीबी का घेराव कर अमले को रोका और पथराव शुरू कर दिया। एसडीएम मनोज वर्मा, सीएसपी और टीआई अशोका गार्डन फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे। लोगों की भीड़ गलियों में इक_ा होने से पुलिस को पीछे हटना पड़ा। भीड़ ने एसडीएम सहित अधिकारियों को घेरा तो उन्हें जान बचाकर भागना पड़ा। और फोर्स आई तब जाकर भीड़ पर काबू पाया गया। इस दौरान आधा दर्जन कर्मचारियों को चोट भी आई है।
कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार एकतापुरी ग्राउंड के पास सरकारी जमीन की कीमत साढ़े तीन हजार रुपए वर्ग फीट है। गुरुवार को अमला अतिक्रमण हटाने पहुंचा। एक दो लोगों ने विरोध किया तो पुलिस ने शांत करा दिया। इसके बाद आधा बल पंजाबी बाग के पास चल रही कार्रवाई में चला गया। कब्जा कर बनाए मो. वसीम, मो. नईम, मो. मतीन के घर भी तोडऩे थे। यह घर एक लाइन से बने हुए हंै। जैसे ही शाम साढ़े 4 बजे के करीब जेसीबी इन्हें तोडऩे पहुंची, तो तीनों भाई, उनके पिता मो. सलीम, मां शायरा बी रिश्तेदार गुलफाम ने विरोध किया। इसके बाद पत्थरबाजी करने लगे और जेसीबी में तोडफ़ोड़ कर दी। पटवारी नीरज विश्वकर्मा की शिकायत पर पिता, तीनों भाइयों सहित रिश्तेदार आदि के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा आदि का मामला दर्ज किया है। पुलिस सलीम और मतीन को हिरासत में लिया है।
एकतरफा कार्रवाई का आरोप, बढ़ा विवाद
नगर निगम के अतिक्रणम विरोधी अमले द्वारा कार्रवाई शुरू होने के बाद ही जिला प्रशासन व नगर निगम के अफसरों तक एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग रहे थे। अगर एक तरफ से अतिक्रमण तोड़ा जाता तो शायद ये आरोप भी नहीं लगते, लेकिन चिह्नित कर तोडऩे से विवाद की स्थिति सुबह से बन रही थी। कुछ लोग रजिस्ट्री भी दिखा रहे थे। अतिक्रमणकारियों का कहना था कि बिजली विभाग ने मीटर दिया, नगर निगम टैक्स लेती है, तो फिर क्यों हटाया जा रहा है।

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