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भोपाल

फिंगर प्रिंट की जांच और देशभर के अपराधियों की पहचान होगी आसान

-एक नवंबर से अपडेट सिस्टम एनएएफआइएस में काम करेगा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो-देशभर के अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स और पूरी कुंडली एक क्लिक में होगी सामने

भोपालOct 31, 2021 / 10:45 pm

manish kushwah

फिंगर प्रिंट की जांच और देशभर के अपराधियों की पहचान होगी आसान

फिंगर प्रिंट की जांच और देशभर के अपराधियों की पहचान होगी आसान


भोपाल. ‘चेहरा झूठ बोल सकता है अंगुली चिह्न नहीं’ सेंट्रल फिंगर प्रिंट ब्यूरो का यह स्लोगन अब और भी प्रभावी हो सकेगा। देशभर से इक_ा किए जाने वाले अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स की जांच अब पहले से ज्यादा सटीक और कम समय में हो सकेगी। दरअसल केंद्रीय फिंगर प्रिंट ब्यूरो समेत राज्यों में कार्यरत इकाइयां एक नवंबर से नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआइएस) में काम करेगा। इस उच्च तकनीक वाले सिस्टम से देशभर के सजायाफ्ता या कहें कि आदतन अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स समेत उसकी पूरी कुंडली सेव होगी। देश के किसी भी कोने में होने वाली वारदात से इक_ा किए गए फिंगर प्रिंट्स की मिलान से कम समय में अपराधियों की पहचान हो सकेगी। अभी तक ये पूरा काम ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन (एएफआइएस) में किया जाता था। इसमें फिंगर प्रिंट मिलान का अधिकतर काम मैन्युली किया जाता था। इसके अलावा इसमें देशभर के अपराधियों के डाटा से फिंगर प्रिंट के मिलान में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता था। बहरहाल मप्र स्थित स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में कार्यरत विशेषज्ञों और स्टाफ को नए सिस्टम से रूबरू कराने के लिए प्रशिक्षण पूरा हो चुका है।
मप्र में 2.40 लाख अपराधियों का डाटा
अपराधियों पर अंकुश लगाने और अपराध होने पर उनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए प्रदेशभर के थानों से दसों अंगुलियों के चिह्न एकत्रित कर स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो मंगाए जाते हैं। इसके अलावा कोर्ट से सजा पाने वाले बदमाशों के भी फिंगरप्रिंट्स सुरक्षित किए जाते हैं। इन फिंगर प्रिंट्स के साथ संबंधित व्यक्ति की पूरी जानकारी सॉफ्टवेयर में सेव होती है। ये डाटा अपराधियों की धरपकड़ में काफी मददगार होता है।
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अंतराज्यीय अपराधियों की पहचान होगी आसान
अन्य राज्यों से आकर अपराध अंजाम देने वाले अपराधियों की धरपकड़ में नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम अधिक प्रभावी होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक इस अपडेट सिस्टम के जरिये घटनास्थल से मिले फिंगर प्रिंट्स की पहचान करना और अधिक जल्दी और आसानी से होगी। साथ ही अपराधी की पूरी कुंडली भी सामने होगी।
वर्जन
एक नवंबर से नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम काम करना शुरू करेगा। इससे फिंगर प्रिंट्स की पहचान और उनकी जांच करना औार भी आसान होगी।
आरएस प्रजापति, एएसपी, स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो

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