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‘भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाईं और गलत इतिहास आज तक पढ़ा रहे’

locationभोपालPublished: Oct 31, 2021 10:50:38 pm

Submitted by:

manish kushwah

-प्राचार्यों की एक्सपोजर विजिट और कार्यशाला में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहाभो

‘भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाईं और गलत इतिहास आज तक पढ़ा रहे’

‘भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाईं और गलत इतिहास आज तक पढ़ा रहे’


पाल. ‘आजादी के बाद देश में एजेंटों को बैठाकर लेखकों सेे अपने पक्ष में इतिहास लिखवाया गया। इसमें यहां तक बताया गया कि विश्व में सभी खोज विदेशियों ने ही की हैं और भारत का इसमें कोई योगदान नहीं है। इस तरह की गुलामी की मानसिकता वाली शिक्षा नीति और गुलामी के विचार आज तक चले आ रहे हैं।’ ये बात मप्र के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने शनिवार को श्यामला हिल्स स्थित बंगले पर आयोजित हायर सेकंडरी स्कूलों के प्राचार्यों की एक््रसपोजर विजिट और कार्यशाला के समापन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में सकारात्मक मानसिकता के साथ भारत के विश्व गुरु वाले इतिहास से सभी को रूबरू कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाजारवाद के दौर में जो लोग लूट कर ले गए वे अब अप्रत्यक्ष रूप से अपना माल यहां डम्प कर रहे हैं। इन्होंने देश की परंपरागत स्किल को न केवल कमजोर किया, बल्कि कहीं-कहीं तो इसे खत्म तक कर दिया है। नई शिक्षा नीति के जरिये इसी परंपरागत स्किल को संवारा जाएगा। हम सभी को डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक नहीं बना सकते, पर विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के हिसाब से नई शिक्षा नीति के जरिये बेहतर रोजगार मुहैया कराएंगे। उन्हेांने नेशनल एचीवमेंट सर्वे में प्रदेश की पूर्व में खराब स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि इस साल सर्वे में बेहतर स्थान पाने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे।
शिक्षकों को सकारात्मक सोच की नसीहत
स्कूल शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षकों को सकारात्मक सोच को अपनाकर संस्था के विकास की दिशा में काम करना चाहिए। शिक्षा विभाग सिर्फ नौकरी देने के लिए नहीं है। यह समाज निर्माण के लिए है। शिक्षा रोजगार की ओर प्रेरित कर सकती है, पर शिक्षक और शिक्षाविद उस बाजार पर आश्रित नही है। यही हमारे देश की परंपरा है, जिससे शिक्षक का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने चाणक्य का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह एक शिक्षक ने सकारत्मक सोच के साथ अखंड भारत का निर्माण किया था। परमान ने कहा कि संस्था प्रमुखों को पूर्व छात्रों को सूचीबद्ध कर उन्हें विद्यालयों से जोडऩा चाहिए, ताकि उनके अनुभव का लाभ विद्यार्थियों को मिले।
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