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सेंसर बताएगा कब है धान को पानी की दरकार, सिंचाई उपकरण बचाएगा 35 फीसदी पानी

locationभोपालPublished: Jan 20, 2022 11:22:32 pm

Submitted by:

manish kushwah

-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल ने धान की फसल के लिए तैयार किए सिंचाई उपकरण -पानी की बचत के साथ ही धान की बेहतर पैदावार हो सकेगी आसान

सेंसर बताएगा कब है धान को पानी की दरकार, सिंचाई उपकरण बचाएगा 35 फीसदी पानी

सेंसर बताएगा कब है धान को पानी की दरकार, सिंचाई उपकरण बचाएगा 35 फीसदी पानी

मनीष कुशवाह
भोपाल. देश और अब प्रदेश में मुख्य खरीफ फसलों में शामिल धान को खेत में तैयार करने में अन्य फसलों की तुलना में लगने वाले पानी की समस्या को दूर करने के लिए केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी भोपाल ने सेंसर और सिंचाई उपकरण तैयार किया है। कीमत में कम और उपयोग में आसान इन उपकरणों की सहायता से किसान धान की फसल को तैयार करने में 35 फीसदी पानी की बचत करने के साथ ही उत्पादन को बढ़ा सकता है। यहां बता दें कि आम धारणा है कि एक बार में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सिंचाई करने से अगली सिंचाई की बारी देर से आएगी और खेतों को पानी से लबालब कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में पानी की बर्बादी होती है। कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के निदेशक डॉ. सीआर मेहता बताते हैं कि संस्थान द्वारा बनाए गए सिंचाई उपकरणों से न केवल पानी की बचत करना संभव होगा, बल्कि पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी। इससे वे किसान भी धान की खेती कर सकेंगे, जो सिंचाई के लिए अधिक पानी नहीं होने से अभी तक इससे महरूम थे।
गीला और सूखा पद्धति अधिक प्रभावी
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सिंचाई में लगने वाले अतिरिक्त पानी को बचाने के लिए मौजूदा समय में गीला और सूखा पद्धति अपनाई जा रही है। इसमें धान की फसल की सिंचाई का जलस्तर जमीन से अधिकतम पांच सेंटीमीटर पर रखा जाता है। इधर फसल की अगली सिंचाई तब की जाती है जब खेत में पानी का स्तर 10 सेंटीमीटर से नीचे आ जाए। यह प्रक्रिया पूरी फसल अवधि तक जारी रहती है। फसल की कटाई से 15 से 20 दिन पहले सिंचाई पूरी तरह बंद कर दी जाती है।
इन उपकरणों से धान की खेती होगी आसान
जल स्तर संकेतक: धान के खेत में जल स्तर की निगरानी के लिए जल स्तर संकेतक विकसित किया है। इसके जरिये खेत में तय पानी की मात्रा बनाई रखी जा सकती है। यह संकेतक मिट्टी की सतह के ऊपर और नीचे जल स्तर को दिखाता है। इसमें लगी छड़ पर लगे कलर कोड से जल स्तर की जानकारी मिलती है। यानी यदि खेत में पानी कमी होगी तो संकेतक से तय रंग प्रदर्शित होने लगेगा। ऐसे में किसान आवश्यकतानुसार पम्प के जरिये खेतों में पानी दे सकते हैं। केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी द्वारा तैयार किए गए इस संकेतक की कीमत 1400 रुपए है।
स्वचालित सिंचाई सिस्टम: साइंटिस्ट डॉ. मुकेश कुमार क मुताबिक इसे धान की फसल के लिए सिंचाई की गीला और सूखा तकनीक के लिए विशेष तौर पर तैयार किया है। इसके जरिये फसल को जरूरत के मुताबिक खेत में पानी के भराव की व्यवस्था की जा सकती है। इसमें खेत में सिंचाई का जल स्तर अधिकतम पांच सेंटीमीटर या इससे कम रखा जाता है। यहां भी एक सेंसर है, जो धान के खेत में मिट्टी की सतह के ऊपर और नीचे जलस्तर का पता लगाता है और पानी की कमी होने पर सिग्नल को वायरलेस तरीके से कंट्रोलर तक पहुंचाता है। ये सिस्टम सोलर पैनल से चार्ज होता है। कंट्रोलर (नियंत्रक इकाई) को धान की फसल के विकास चरणों के दौरान खेत में जल स्तर के आधार पर प्रोग्राम किया है। यह उपकरण सिंचाई पम्प को भी नियंत्रित करता है। 15 हजार की कीमत वाले इस उपकरण और सेंसर को संचालित करने के लिए किसानों को बुनियादी ट्रेनिंग दी जाएगी।

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