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बरसों से उपेक्षित पारधी समाज के बच्चों को ‘हक’ दिलाने का जुनून

locationभोपालPublished: Jan 26, 2022 12:30:53 pm

Submitted by:

manish kushwah

-आइआइएफएम भोपाल से एमबीए करने के बाद नौकरी छोड़ बच्चों को शिक्षित कर मुख्यधार में लाने में जुटी हैं अर्चना

बरसों से उपेक्षित पारधी समाज के बच्चों को ‘हक’ दिलाने का जुनून

बरसों से उपेक्षित पारधी समाज के बच्चों को ‘हक’ दिलाने का जुनून

भोपाल. देश के ख्यात मैनेजमेंट संस्थानों में शुमार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट भोपाल से एमबीए करने के बाद लाखों के सालाना पैकेज को दरकिनार कर अर्चना शर्मा (50)ने पारधी समाज के बच्चों को पढ़ाकर मुख्याधार में शामिल करने को ही अपने जीवन का ध्येय बनाया है। आइआइएफएम में पढ़ाई के दौरान रांची (झारखंड) निवासी अर्चना ने मध्यप्रदेश और विशेषकर भोपाल को अपनी कर्मस्थली बनाया। वर्ष 1996 में फॉरेस्ट्री मैनेजमेंट से एमबीए करने के बाद यूनिसेफ संस्था से जुड़ी, पर उनका मन पढ़ाई के दौरान पारधी समाज और उनके बच्चों को शिक्षा के जरिये मुख्यधारा में जोडऩे में ही लगा रहा। आखिरकार उन्होंने पारधी समाज के बच्चों को शिक्षित करने को तरजीह दी और अपने क्लास के पूर्व साथियों और जूनियर्स की मदद से वर्ष 2021 में ‘अरण्या’ प्रकल्प शुरू किया। तमाम परेशानियों के बावजूद अर्चना अपने उद्देश्य में सफल रहीं और पारधी समाज के बच्चों को शिक्षा के उजियारे से जोड़ा है। वर्तमान में उनके मार्गदर्शन में प्रदेश भर से आए पारधी समाज के 36 बच्चे एक जगह रहते हैं और पढ़ाई करते हैं। इनकी पढ़ाई के साथ ही रहने-खाने समेत अन्य खर्च अर्चना अपने साथियों की मदद से उठाती हैं। वर्तमान में पांच बच्चे दसवीं की कक्षा पास कर चुके हैं और आइटीआइ में प्रवेश लिया है। ये बच्चे समाज के अन्य बच्चों को शिक्षा का महत्व समझा रहे हैं।
पारधी और समाज के बीच खाई दूर करना लक्ष्य
अर्चना बताती हैं, आजादी के 74 साल बाद भी पारधी समाज मुख्यधारा से पूरी तरह अलग है। सरकार की तमाम योजनाएं इस खाई को दूर करने में सफल नहीं हुईं। ऐसे में किसी न किसी को इस खाई को कम करना था, लिहाजा उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाए। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान पारधी समाज के बारे में जानने का मौका मिला। पता चला कि ये समाज पूरी तरह शिकार पर आश्रित है। मप्र में इनकी आबादी 4 से 5 फीसदी है, पर विड़बंना यह है कि ये समाज किसी जिले में अनुसूचित जाति तो कहीं अनुसूचित जनजाति वर्ग में आता है। कई जिलों में ये समाज सामान्य वर्ग में है। शिक्षा का स्तर तकरीबन शून्य होने से ये शासन की योजनाओं से दूर हैं।

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