गिरफ्तार शिकारी के नाम भी कई हैं। कहीं लोग इसे यारालीन, तो कहीं लूजालेन और कहीं जसरथ के नाम से जानते थे। यह इससे पहले भी मध्यप्रदेश पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है। 2014 में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद से यह फरार चल रहा था। इसके बाद से वह मध्यप्रदेश और गुजरात के गावों में अपना ठिकाना बदलकर रह रहा था। यह भालुओं के साथ-साथ बाघों का भी शिकार करता है।
प्राइवेट पार्ट को जाता था खा
इसके बारे में चर्चा यह भी है कि यह भालुओं के शिकार के बाद उनके प्राइवेट पार्ट को काटकर खा जाता था। इसके पीछे की वजह है कि आदिवासी इलाकों में यह किवंदती हैं कि उसे खाने से पौरुषार्थ बढ़ता है। हालांकि इसके बार में कोई साइंटिफिक तर्क नहीं है। यारालीन प्राइवेट पार्ट को खाने के बाद बाकी के अंगों को वह अंतर्राष्ट्रीय तस्कर को बेच देता था। जिसका इस्तेमाल कई दवाओं के निर्माण में होता है।
इसके बारे में चर्चा यह भी है कि यह भालुओं के शिकार के बाद उनके प्राइवेट पार्ट को काटकर खा जाता था। इसके पीछे की वजह है कि आदिवासी इलाकों में यह किवंदती हैं कि उसे खाने से पौरुषार्थ बढ़ता है। हालांकि इसके बार में कोई साइंटिफिक तर्क नहीं है। यारालीन प्राइवेट पार्ट को खाने के बाद बाकी के अंगों को वह अंतर्राष्ट्रीय तस्कर को बेच देता था। जिसका इस्तेमाल कई दवाओं के निर्माण में होता है।
तीन फर्जी आधार कार्ड भी मिले
यहीं नहीं एसटीएफ की टीम ने जब इसे गिरफ्तार किया तो इसके पास तीन आधार कार्ड भी मिले हैं। जिन पर अलग-अलग नाम दर्ज हैं। इसके साथ ही यह विभिन्न जगहों का फर्जी वोटर आईडी कार्ड भी बनवा रखा था। वो एसटीएफ के रडार पर तभी से साथ जब से कुछ मृत भालुओं के प्राइवेट पार्ट गायब मिले। अभी यह गुजरात के वडोदरा हाइवे पर एक झोपड़ी में रह रहा था।
यहीं नहीं एसटीएफ की टीम ने जब इसे गिरफ्तार किया तो इसके पास तीन आधार कार्ड भी मिले हैं। जिन पर अलग-अलग नाम दर्ज हैं। इसके साथ ही यह विभिन्न जगहों का फर्जी वोटर आईडी कार्ड भी बनवा रखा था। वो एसटीएफ के रडार पर तभी से साथ जब से कुछ मृत भालुओं के प्राइवेट पार्ट गायब मिले। अभी यह गुजरात के वडोदरा हाइवे पर एक झोपड़ी में रह रहा था।
15 साल की उम्र से कर रहा था ऐसा
यारालीन 15 साल की उम्र से ही ऐसा कर रहा था। वह इसी उम्र से जंगलों में जाकर जंगली जानवरों का शिकार करता था। इस उम्र से ही वह भालुओं और बाघों का शिकार करता था। इस पर बाघों के शिकार का भी मामला दर्ज है। कहा जाता है कि जसरथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तस्करों जानवरों के अंगों का बड़ा सप्लायर था। उससे मिली जानकारी के आधार पर फॉरेस्ट एसटीएफ इससे जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है।
दूसरे राज्यों में भी दर्ज हैं मामले
यारालीन पर सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र में भी मामले दर्ज हैं। जून 2013 में नागपुर वन मंडल में बाघ का शिकार। जुलाई 2013 में मेंलघाट टाइगर रिजर्व अमरावाती में बाघ और भालू का शिकार। जनवरी 2013 में वन मंडल पश्चिम मंडला में भालू का शिकाऱ। मार्च 2013 में वन मंडल पश्चिम मंडलार में भालू का शिकार। फरवरी 2013 में पेंच टाइगर रिजर्व सिवन में बाघ के शिकार। इसके साथ ही कई ऐसे मामले भी हैं जो दर्ज नहीं है।
यारालीन पर सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र में भी मामले दर्ज हैं। जून 2013 में नागपुर वन मंडल में बाघ का शिकार। जुलाई 2013 में मेंलघाट टाइगर रिजर्व अमरावाती में बाघ और भालू का शिकार। जनवरी 2013 में वन मंडल पश्चिम मंडला में भालू का शिकाऱ। मार्च 2013 में वन मंडल पश्चिम मंडलार में भालू का शिकार। फरवरी 2013 में पेंच टाइगर रिजर्व सिवन में बाघ के शिकार। इसके साथ ही कई ऐसे मामले भी हैं जो दर्ज नहीं है।