कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने बताया कि कमिश्नर सिस्टम में तकनीकी विवेचना पर जोर दिया जा रहा है। अपराध रोकने, अपराधी को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त सबूतों का संकलन महत्वपूर्ण कार्रवाई है। विवेचना में किसी भी प्रकार की कमी रहने का फायदा अपराधी को सुनवाई के दौरान मिलता है इसलिए सभी पहलू अमले को ठीक तरीके से समझाने ये प्रयास किया जा रहा है।
कानपुर की तर्ज पर बना रहे व्यवस्था
भोपाल में कानपुर कमिश्नर सिस्टम की तर्ज पर सिस्टम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। शहर को चार जोन में बांटने के बाद ट्रैफिक, साइबर और क्राइम शाखा के लिए अलग-अलग डीसीपी तैनात किए गए। अपराधों की विवेचना का काम क्राइम ब्रांच को सौंपा गया है। यहां भी आर्थिक अपराध विवेचना के लिए एसीपी स्तर के एक अधिकारी को पदस्थ किया गया है जबकि बाकी क्राइम एक अन्य एसीपी के हवाले हैं। इनकी मॉनीटरिंग एडीशनल डीसीपी को सौंपी गई है।
थानों में सामूहिक पेशी
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पहली बार शहर के 38 थाना क्षेत्रों में चोरी, लूट और डकैती करने वाले 10 साल पुराने आरोपियों की सामूहिक पेशी करवाई जा रही है। शहर के 38 थाना क्षेत्रों में चोरी, लूट, डकैती नकबजनी के मामलों में पिछले 10 साल के दौरान पकड़े गए आरोपियों की सूची तैयार की गई है। इन आरोपियों के नाम-पतों पर थानों से नोटिस भेजे जा रहे हैं। रविवार को सभी थानों में इन आरोपियों को आकर अपना भौतिक सत्यापन कराना होगा। इस दौरान आरोपियों से पूछा जाएगा कि इन दिनों वह आमदनी के लिए क्या कर रहे हैं और पूर्व में किए गए वारदातों के बाद अभी उनकी गतिविधियां क्या हैं।
जो आरोपी पुलिस की सामूहिक पेशी में रविवार को थाने में उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे उनके घर जाकर पुलिसकर्मी दीवार पर नोटिस चस्पा करेंगे और घर पर जो मिलेगा उसकी जानकारी थाने के रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी। इस प्रकार यदि क्षेत्र में दोबारा चोरी की घटना होती है तो अनुपस्थित रहने वाले चोर को पकड़ने पर पुलिस अपना पूरा फोकस करेगी। इसके लिए 10 हजार से अधिक आरोपियों की लिस्ट शहर के 38 थाना क्षेत्रों में तैयार की गई है।
फॉरेंसिक ऐप पर अपलोड होगा डाटा
एडिशनल पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर ने बताया कि यह पूरी कवायद अपराध की रोकथाम व फेस फॉरेंसिक एंड्राइड ऐप पर आरोपियों के डाटा को अपलोड और अपडेट करने की जा रही है।